भारत चौहान नई दिल्ली , आतंरिक समिति द्वारा क्लीन चिट मिलनेके बाद मुख्य न्यायाधीश मजबूत होकर उभरे, लेकिन नारीवादी लॉबी इससे भड़क गई। उनका तर्क है वह केवल पुरुष के पतन से ही संतुष्ट हैं। न्याय व्यवस्था तथा सर्वोच्च न्यायालय के विरूद्ध क्रोध गोलमोल था।
इंडिया गेट पर नारीवासियों का सोमवार को विरोध प्रदर्शन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली आंतरिक समिति में ुनके अविास को दिखाता है। पुरुष आयोग की अध्यक्ष बरखा त्रेहन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पुरुषों के लिए सर्वाधिक असुरक्षित देश है। यदि मुख्य न्यायाधीश सुरक्षित नहीं है तो फिर कौन हागा। क्या महिलाओं को पुरुषों का झूठे आरोपों द्वारा सम्मान हरण करने के बाद आजाद घुमने देना चाहिए। इंडिया गेट के राजपथ पर भारी संख्या में महिला पुरुष शामिल हुए। उनके हाथों में पोस्टर बैनर थे जिस पर महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग गठन करने, आरोप लगने पर जिस तरह से महिलाओं का नाम गुप्त रखा जाता है उसी तरह से पुरुषों के नाम भी गुप्त रखने समेत अपनी 50 सूत्रीय मांग लागू करने के लिए सरकार से अनुरोध किया। बरखा त्रेहन ने कहा कि यदि 51 फीसद पुरुष आबादी झूठे मुकदमें से डराई जाए तो उसके लिए बचने का कोई रास्ता नहीं है। लिंगों के बीच का विास दांव पर है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सख्त कार्यवाही ही यह सुनिश्चित कर सकती है कि पुरुषों को ुनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता मिलती रहे। यह मात्र मुख्य न्यायधीश की छवि खराब करने का मामला नहीं है। देश के प्रत्येक पुरुष का आत्मसम्मान आज दांव पर है।