दिल्ली के अस्पताल है वेंटिलेटर पर दम तोड़ रहे है मरीज महृषि बाल्मीकि अस्पताल की ब्लड एनालाइजर मशीन खराब, 4 वर्षीय मासूम ने तोड़ा दम खून का प्रबंध कर मां-बाप और सगे-संबंधी तीन घंटे तक अस्पताल में खून लेकर इधर से उधर गुहार लगाते रहे

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , मरीजों का जीवन बचाकर उनके चेहरे पर खुशियां बिखरने के मामले में भगवान स्वरूप डाक्टर की संवेदनहीनता एक मासूम के जान पर भारी पड़ गई। एक पिता अपने मासूम के लिए तीन घंटे तक खून लेकर अस्पताल में इधर-उधर दौड़ता रहा। लेकिन डॉक्टरों के टाल मटोल के रवैये के कारण एक मासूम की जान चली गई। यह मामला किंग्जवे कैंप स्थित महषर्ि वाल्मीकि अस्पताल में निरंकारी कालोनी की सबिता के चार वर्षीय बेटे रोहन के साथ हुआ। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने तर्क दिया कि रक्ताधान के पहले ब्लड एनालाइजर करने वाली दो मशीनों में से एक खराब है। बची एक मशीन पर पहले से ही मरीज को रक्ताधान करने के लिए ब्लड प्यूरीफाइंग किया जा रहा था, जिसमें कुछ वक्त लगता है, यही वजह थी कि मरीज को समय रहते रक्तधान नहीं किया जा सका। उसकी तबियत फहले से ही अति गंभीर थी।
क्या है मामला:
निरंकारी कालोनी की सबिता अपने 4 वर्षीय रोहन को हीमोग्लोबिन की कमी होने और चक्कर आने की शिकायत पर भर्ती कराया। इसके दो माह पहले उसे हेमरेजिक फीवर हो गया था। वह अभी सामान्य भी नहीं हुआ था, इस अस्पताल में उसे साप्ताहिक रूटीन के लिए बुलाया जाता था। आरोप है कि सुबह उसकी जबियत खराब होने पर पुन:लाया गया। डाक्टर ने जांच के बाद कहा कि उसके शरीर में खून की कमी है जिसे दूर करने के लिए तुरंत दो यूनिट रक्ताधान किया जाएगा। खून का प्रबंध कर दिया गया। इस बीच यूनिट के डाक्टर ने स्लिप दी और नर्सिग स्टाफ से बच्चे को रक्त चढ़ाने की हिदायत दी। जब नर्स ने स्लिप सबिता को दी कि वह ब्लड बैंक से रक्त की थैली ले आए। वहां जाने पर पता चला कि अभी उस वर्ग समूह का रक्त नहीं है। जो है उसे अभी एनालाइज करना पड़ेगा और एनालाइजर मशीन अभी खाली नहीं। साथ ही यह भी सलाह दी कि ज्यादा जल्दी है तो मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाओ। करीब अपराह्न एक बजे तक उसे रक्तधान नहीं किया जा सका। जब डाक्टर की टीम ने उसकी स्थिति का आकलन किया तो पाया उसकी दिल की धडकन असामान्य है। इस बीच उसे जीबी पंत अस्पताल रेफर कर दिया। डिस्चार्ज स्लिप डाक्टर तैयार कर रहे थे इस बीच उसने दम तोड़ दिया। परिजनों ने इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को लिखी शिकायत में आरोप लगाया कि इलाज में कथित लापरवाही से उसकी मौत हुई। जब यहां पर सुविधा ही नहीं थी तो फिर उसे कई घंटे तक बिना उपचार के अस्पताल में क्यों रखा गया।
यह भी:
इस बीच अस्पताल में यूनिट के इंचार्च डा. राहुल ने कहा कि हमने हर स्तर पर मरीज को जरूरी चिकित्सीय सेवाएं प्रदान की। उसे पहले डेंगू फीवर था, जिसका यहां पहले से इलाज किया जा रहा था। उसकी मृत्यु गंभीर बीमारी की वजह से हुई। रक्त चढ़ाने का मामला कोई ईश्यू नहीं है। बहरहाल, इस मामले में स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवाल ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने चार सदस्यीय एक कमेटी गठित की है जो अपनी रिपोर्ट सोमवार तक देगी।

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