ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , देश में नशे की बढ़ती लत को हाल ही में उजागर करने के बाद अब दिल्ली में शराब की खपत और उसके भारी परिणाम का खुलासा हुआ है। देश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान एम्स के एक अध्ययन में सामने आया है कि हर महीने करीब 6 करोड़ रु पये की शराब दिल्ली वाले हजम कर ले रहे हैं। करीब 5 लाख लीटर एल्कोहल की बिक्री हो रही है। इसका सीधा असर एम्स सहित तमाम अस्पतालों के आपातकालीन विभागों पर दिखता है, जहां हर रात सैंकड़ों घायल भर्ती होते हैं, जबकि आधे से ज्यादा की मौत हो जाती है।
इंडिया स्टेटिकल इंस्टिट्यूट (आईएसआई) के सहयोग से एम्स के डॉक्टरों ने 65 हजार से ज्यादा परिवारों पर अध्ययन के बाद ये निष्कर्ष निकाला है कि देश में बढ़ती शराब की खपत लोगों से उनके जीने का अधिकार छीन रही है। अध्ययन के अनुसार देश में हर माह साढ़े 3 करोड़ लीटर शराब, जिसकी कीमत करीब 410 करोड़ है, का सेवन किया जा रहा है। रिपोर्ट में ये भी है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रीय लोगों में इसका चलन है। अगर लोगों के आर्थिक स्थिति पर गौर करें तो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रु प से मजबूत लोग ज्यादा शराब के आदी हैं।
एक्सपर्ट्स की सलाह:
एम्स के वरिष्ठ डा. अतुल अंबेकर का कहना है कि बीते माह राष्ट्रीय नशा सर्वेक्षण 2019 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किया था। इस रिपोर्ट में देश में लगातार बढ़ रहे नशीले पदाथरे के सेवन पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश में शराब की लत बढ़ी है। जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत है, वे महंगे ब्रांड का सेवन करते हैं। जबकि इसके सेवन से न सिर्फ स्वास्थ्य,बल्कि सड़क हादसों में बढ़ोत्तरी भी हो रही है। वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खैतरपाल के अनुसार दुनिया में करीब 5 फीसद बीमारियों का भार शराब के सेवन से हो रहा है। लिवर, किडनी फेलियर मरीज भारत में बहुत तेजी से सामने आ रहे हैं। एम्स के कार्डियलॉजी यूनिट के प्रो. डा. राकेश यादव का मानना है कि एम्स से लेकर लगभग सभी अस्पतालों में शराब की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में घायल, लिवर, किडनी, दिल, अग्नाश्य, फेफड़े इत्यादि के रोगी बढ़ा रहा है। डॉक्टरों का ही अनुमान है कि हर अस्पताल में करीब 20 फीसदी ओपीडी रोगी शराब की वजह से अस्पताल पहुंच रहे हैं।