दिल्ली पत्रिका एक्सक्लूसिव -एम्स में संक्रमण -बीते सालों की अपेक्षा संक्रमण में इजाफा, सांसत में डाक्टर और मरीज – संक्रमण नियंत्रण के लिए कमेटी गठित, रोकथाम के तौर तरीकों पर देगी जोर -वर्ष 2017 की अपेक्षा 2018 में संक्रमण दर में .5 फीसद बढ़ोतरी दर्ज

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, यह जानकार कर आपको ताज्जुब होगा की देशभर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विख्यात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राउंड द क्लाक चिकित्सीय सेवाएं बहाल करने वाले करीब 6500 समूह ए और बी श्रेणी के स्वास्थ्यकर्मियों का जीवन खतरे में हैं। कारण यह है कि उन्हें हास्पिटल पेशेंट केयर एलाउंस (एचपीसीए) नहीं दिया जा रहा है। यही नहीं समूह सी एंड डी के करीब 5 हजार कर्मचारियों को सिर्फ 4100 रुपये ही एचपीसीए एलाउंस दिया जा रहा है। चिंतावाली बात यह है कि सी एंड डी श्रेणी के जिन कर्मचारियों की प्रोन्नति ए एंड बी श्रेणी में भेजा जाता है वे भी कमोवेश वैसा ही काम करते हैं जैसे वे सी एंड डी श्रेणी में कर रहे थे। ऐसे में उन्हें एचपीसीए का लाभ नहीं मिलने से उनकी बेचैनी बढ़ रही है।
एम्स एससी/एसटी इम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव कुलदीप कुमार धिंगान, अध्यक्ष बाबूलाल, एम्स कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष वेदप्रकाश ने निदेशक कार्यालय को भेजे पत्र में एचपीसीए हर वर्ग के कर्मचारी को नर्सिग कर्मियों की तर्ज पर 7600 रुपये देकर समान काम समान वेतन नीति के नियमों को लागू करने का अनुरोध किया है।
चिंता लाजिमी:
एम्स की ही एक रिपोर्ट के अनुसार यहां संक्रमण दर बढ़ गई है। साल 2016-17 में एम्स का इन्फेक्शन रेट 6.9 फीसद हो गया, जो साल 2015-16 में 5.7 फीसद था। यानी की करीब 1.2 फीसद संक्रमण में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। संक्रमण बढ़ने की वजह से मरीजों का अस्पताल में स्टे भी बढ़ गया है। वर्ष 2018 में भी .5 फीसद संक्रमण स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। यह स्थिति तब है जब मोदी सरकार के सरकारी अस्पतालों में साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए कायाकल्प अवॉर्ड दो साल से एम्स को मिल रहा है। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार संक्रमण दर में थोड़ा बहुत ऊपर नीचे होता है, लेकिन एक साल में 1.2 फीसद तक बढ़ना सिस्टम की कमियों की पुष्टि करती है। साल 2014-15 में संक्रमण दर 5.38 फीसद था। इस वजह से हॉस्पिटल में मरीजों का वार्ड्स में रहने में भी केवल 4.3 दिन ही था। हृदय वक्र तंत्रिका विज्ञान केंद्र मरीज सप्ताहभर तक रहा। साल 2015-16 में संक्रमण 0.32 फीसद बढ़ कर 5.7 फीसद तक पहुंच गया। हालांकि यह मामूली इजाफा कहा जा सकता है लेकिन, इसकी वजह से मरीज का अस्पतालों में रु कने का समय में भारी इजाफा हुआ। मुख्य अस्पताल विंग में औसतन मरीजों को 6 से 7 दिन तक पहुंच गया।
यह भी:
साल 2016-17 व 2018 की रिपोर्ट में संक्रमण दर क्रमश: 6.9 और 7.5 फीसद तक दर्ज किया गया। इससे मरीजों का अस्पताल में रुकने का समय 7 दिन से सीधे बढ़कर 9.10 दिन हो गया। इसकी वजह से सीएन सेंटर में जहां पर अक्सर लोग ज्यादा दिनों तक भर्ती होते हैं, लेकिन मेन एम्स में संक्रमण बढ़ने की वजह से सीएन सेंटर से अधिक दिनों तक मरीज को भर्ती किया गया। औसत भर्ती का रहने का समय 9 दिन था, जो मेन एम्स में 10 दिन पहुंच गया है। यही नहीं एम्स फैकल्टी, आरडीए भी चिंता व्यक्त कर चुका है।
प्रशासन ने किया दावा:
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि संक्रमण नियंतण्रके लिए एम्स चिकित्सा अधीक्षक डा. डीक शर्मा की अध्यक्षता में अस्पताल संक्रमण नियंतण्रकोर समिति बनाई है। इसके लिए 174 नसरे को प्रशिक्षित किया गया है।

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