भारत चौहान नई दिल्ली , करीब 1.16 किलो वजन के 20 दिन के बच्चे का सफल ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने उसकी जान बचाई। बताया जा रहा है कि भारत में पहली बार इतने कम वजन वाले बच्चे की ब्रेन सर्जरी हुई है। इसके जरिए मस्तिष्क से घातक रक्त के थक्के को हटाया गया है। इस थक्के के कारण इस नवजात शिशु को दौरे पड़ रहे थे। डॉक्टरों के अनुसार यदि इसका तुरंत इलाज नहीं किया जाता तो यह स्थिति घातक साबित होती। सर्वोदय अस्पताल ने इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस और गिनीज बुक ऑफ र्वड रिकार्डस में दर्ज कराने के लिए आवेदन भी किया है।
जटिल हालत:
सर्जरी टीम के प्रमुख डा. पंकज डाबर एवं मुकेश पांडे के नेतृत्व में यह सर्जरी की गई। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसकांफ्रेस में डा. पंकज ने यह खुलासा किया। उन्होंने बताया कि फरीदाबाद निवासी दीवाकर झा की पत्नी दीपा की अनुवांशकीय कारणों के चलते 33वें सप्ताह में शिशु ने जन्म लिया। जन्म के बाद देर से रोया। इस कारण बच्चे को सांस की बीमारियों और नवजात सांस लेने में दिक्कत (एस्फिक्सिया) की पहचान करने के लिए उसे अस्पताल लाया। जांच में पाया गया कि उसके दिमाग में रक्त का थक्का है। बच्चे को पांच दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। उसके जन्म के 19 वें दिन दौरा पड़ने लगे। एमआरआई के बाद दिमाग में बड़े रक्त के थक्के की पुन: पुष्टि की गई। जो संभवत: जन्म से था। तत्काल सर्जरी के लिए अलावा कोई विकल्प नहीं था।
दावा:
डा. मुकेश पांडे ने दावा किया कि देश में इतने कम वजन के बच्चे की ब्रेन सर्जरी पहले नहीं की गई है। इसके लिए बहुत सावधानी से विचार करने और एनीस्थिसिया के लिए विशेष उपकरण की मदद ली गई थी। फिलहाल बच्चा पूरी तरह से ठीक है। उसका वजन बढ़ रहा है और उसे अब न्यूरो संबंधी कोई समस्या नहीं है। पिछली बार जब वह अस्पताल आया था तो वह बिलकुल स्वस्थ था।