दरियादिली दिल्ली सरकार: बढ़ाया स्वास्थ्य का बजट, नए अस्पताल मिलेंगे – घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 2 करोड़ के ईनाम बांटेगी -मायुस हुए दिल्लीवासी, बजट में स्वास्थ्य बीमा जिक्र तक नहीं -वर्ष 2018 से चल रही थी तैयारी, ऐन वक्त पर तैयार प्रस्ताव को ठंडी बस्ते में डाला

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ज्ञानप्रकाश
,नई दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने अबकी बार भी स्वास्थ्य के बजट में बढ़ोत्तरी की है। आने वाले दिनों में दिल्ली वालों को नए अस्पताल और मोहल्ला क्लिनिक के अलावा पॉलीक्लिनिक भी मिलेंगे। इसके अलावा सड़क हादसे में घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले शख्स को दिल्ली सरकार ईनाम भी देगी। पिछले वर्ष 2018-19 के बजट में दिल्ली सरकार ने 6729 करोड़ रु पये रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 7485 करोड़ रु पये किया है। इसमें 6462 करोड़ राजस्व और 1023 करोड़ ढ़ांचागत चिकित्सीय सेवाओं पर खर्च किए जाएंगे। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने भाषण में कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं और परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 3,737 करोड़ रु पये खर्च करने का प्रस्ताव रखा है। जोकि वर्ष 2018 में 2576 करोड़ के अनुमान से 45.07 फीसदी अधिक है।
दिल्ली सरकार का दावा है कि साल 2018 में राजधानी के 189 मोहल्ला क्लिनिक में 40 लाख लोगों ने चिकित्सीय लाभ लिया है। इसलिए सरकार जून 2019 तक 333 और क्लिनिक खोलने जा रही है। ठीक इसी तरह 25 पॉलीक्लिनिक और 94 औषधालयों का परिवर्तन भी होगा। इसके लिए 375 करोड़ रु पये खर्च हो सकते हैं।
नए अस्पतालों के निर्माण पर दिया जोर:
नए अस्पतालों के निर्माण के लिए दिल्ली सरकार ने अंबेडकर नगर में 600 और बुराड़ी में 800 बिस्तरों के अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द पूरे करने का वादा किया था। द्वारका में 1241 बिस्तरों के अस्पताल का निर्माण अंतिम चरण में है। 963 करोड़ रु पये की लागत से राजन बाबू टीबी अस्पताल, आचार्य भिक्षु, दीपचंद बंधु अस्पताल, भगवान महावीर, संजय गांधी, डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर और गुरु गोविंद सिंह अस्पताल के पुर्नगठन को मंजूरी दी है। इन अस्पतालों के पुर्नगठन के बाद 2601 नए बिस्तरों की सुविधा भी मिलेगी।
300 करोड़ की दवाएं बांटी मुफ्त:
मरीजों को निशुल्क दवाएं उपलब्ध कराने के लिए साल भर में 300 करोड़ रु पये खर्च किए हैं। सरकार के अनुसार हर माह दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में 20 लाख रोगियों को मुफ्त दवाएं मिल रही हैं। शिकायत के लिए 1031 हेल्पलाइन जारी है।
निजी केंद्रों पर मेडिकल टेस्ट कराने का बजट भी बढ़ा:
एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड के टेस्ट निजी केंद्रों पर कराने के लिए संचालित योजना पर खर्च के लिए 49 करोड़ रु पये का बजट रखा है, पिछले वर्ष ये 20 करोड़ था। सरकार के अनुसार इस योजना के तहत अब तक 1 लाख से ज्यादा मरीज निशुल्क जांच करा चुके हैं। इसके अलावा मादक पादर्थ रोकथाम विभाग ने नशीली दवाओं को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। 386 दवा लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।
मायूस : बजट में स्वास्थ्य बीमा जिक्र तक नहीं
प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) को रोकते हुए खुद की नई स्वास्थ्य बीमा योजना लाने का ऐलान करने के बाद भी दिल्ली सरकार ने 2019-20 के बजट में स्वास्थ्य बीमा का जिक्र तक नहीं किया है। दिल्ली वालों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार केंद्र की भांति पांच लाख रु पये का सालाना स्वास्थ्य बीमा उन्हें भी देगी लेकिन पूरे बजट में इसका जिक्र नहीं हुआ। जबकि 2018-19 के बजट में सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना पर दिसंबर 2018 से काम शुरु होने की घोषणा की थी, जोकि अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी है। इसके अलावा बजट में की गई स्वास्थ्य घोषणाएं भी ज्यादात्तर पिछले वर्ष की हैं, जो अब तक लंबित हैं।

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