दिल्लीवासी मोटापे और कुपोषण के दोहरे बोझ का सामना कर रहे -एम्स: मोटापे का स्तर बढ़ना चिंता का कारण -ग्रामीण क्षेत्रों से इलाज के लिए आने वालों में खून की कमी, कुपोषण है बीमारी की मुख्य वजह

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , बॉडी-मास इंडेक्स (बीएमआई) में वैिक रुझानों के एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन में, 1985 और 2017 के बीच 200 देशों और क्षेत्रों के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 11.2 करोड़ से अधिक वयस्कों की ऊंचाई और वजन के आंकड़ो का विश्लेषण किया गया। भारत में मोटापे की व्यापकता बढ़ रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में यह 8 से 38 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्रों में 13 से 50 प्रतिशत तक है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के बेरियाट्रिक डिपार्टमेंट और इंटरनेशनल बेरियाट्रिक सोसायटी ने दुनिया के 234 देशों के 5670 मेडिकल कॉलेज के एक्सपर्ट्स की ओपीडी बेस्ड राय के आधार पर यह अध्ययन किया गया। अन्य राज्यों की अपेक्षा दिल्ली में हर राज्य के लोग रह रहे है। यहां पर आबादी के अनुसार युवाओं का बीएमआई असुंतलित पाया गया। निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वालों में यह समस्या देखी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वस्थ भोजन पैटर्न के महत्व पर जागरूकता उत्पन्न करना समय की आवश्यकता है।
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया के अनुसार मोटापा मधुमेह और हृदय की समस्याओं जैसी स्थितियों को जन्म देता है। भारत पर इस मामले में दोहरा बोझ है। एक तरफ कुपोषण है और दूसरी तरफ मोटापा। भारत में मोटापा दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग है, जो हमारे देश में थिन-फैट इंडियन फेनोटाइप किस्म का है। इसका मतलब है कि कोकेशियान और यूरोपीय समकक्षों की तुलना में यहां के लोगों में शरीर में वसा, पेट और आंत के पास अधिक एकत्र होती है। इसलिए, वि मोटापा आमतौर पर कमर की परिधि के संदर्भ में रिपोर्ट किया जाता है, और 30 से परे बीएमआई भारत में मोटापे के प्रसार को काफी कम कर देता है। भारतीय मोटापे का अनुमान बीएमआई 25 की कम सीमा के अनुसार लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा, यहां तक घ्घ्कि 23 तक की सामान्य बीएमआई, पेट के मोटापे के उच्च उदाहरण दिखा सकता है। मोटापे के दो प्राथमिक कारणों में एक है गतिहीन जीवन शैली और दूसरा है अस्वास्थ्यकर भोजन पैटर्न। प्रोसेस्ड फूड की खपत कई गुना बढ़ गई है। यह, असमान रूप से काम करने वाले पैटर्न और शारीरिक गतिविधि की कमी के साथ मिलकर स्थिति को बदतर बना देती है। पदमश्रीडा. केके अग्रवाल के अनुसार पारंपरिक भारतीय आहार काबरेहाइड्रेट से भरपूर होता है। लोग बड़ी मात्रा में चावल, रोटियां और यहां तक कि ब्रेड का सेवन करते हैं। इसके अलावा, आज तला हुआ और अस्वास्थ्यकर फास्ट फूड व्यापक रूप से उपलब्ध है, जो आहार में सिर्फ कैलोरी का ही योगदान करता है। इन सब कारणों से भारतीयों में मोटापे की समस्या निरंतर बनी रहती है।
सुझाव:
-वजन घटाने की कुंजी यह है कि आप कितनी कैलोरी ग्रहण करते हैं।
-ऊर्जा घनत्व की अवधारणा आपको कम कैलोरी के साथ अपनी भूख को संतुष्ट करने में मदद कर सकती है।
-अपने समग्र आहार को स्वस्थ बनाने के लिए, वनस्पति-आधारित खाद्य पदार्थ अधिक लें, जैसे कि फल, सब्जियां और साबुत अनाज युक्त काबरेहाइड्रेट खाएं।
-व्यायाम को अपनी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएं। धीमी गति से शुरू करें और समय के साथ इसकी गति बढ़ाते जाएं।

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