भारत चौहान नई दिल्ली , लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष शिवराज पाटिल ने रविवार को यहां ब्रह्मकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में दादी प्रकाशमणि के 12वें स्मृति दिवस पर आयोजित वि बंधुत्व कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वह शान्ति एवं प्रेम की सच्ची मसीहा थी। उन्होने कहा कि संविधान और कानून में परितर्वतन या फिर कानून में संशोधन करने के लिए प्रेम और सौहार्दपूर्ण वातावरण जरूरी है। चाहे वह किसी संस्थान का हो केंद्र का हो या फिर सरकार का। चूंकि नियम जनता की भलाई के लिए बनाए जाते हैं, उसके उपयोग से अनुशासन रहता है। दादी प्रकाशमणि द्वारा दी गई शिक्षाओं पर अमल करना ही वास्तव में उनको सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करना होगा। उनमें व्यक्तित्व में सत्यम् शिवम् सुंदरम् की भावना समाहित थी।
दादी के साथ कुछ पल बिताए अनुभवों को साझा करते हुए श्री पाटिल ने कहा कि दादी निश्चिन्त, निर्विघ्न और निर्मल भाव का सास्तवत रूप थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय आत्मा के सौन्दर्य को निखारने की अत्यन्त आवश्यकता है, जोकि आध्यात्मिकता से ही संभव है। पटौदी हरि मंदिर आश्रम के महामंडलेर स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि दादी जी का जीवन हमारे लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि मैं जब भी उनसे मिला मैंने कुछ न कुछ नया सीखा। दादी जी परमात्मा द्वारा रचित एक ऐसा पुष्प थी, जिसकी खुशबू हम आज भी अपने आस-पास अनुभव कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार डा. वेद प्रकाश वैदिक ने कहा कि दादी जी महिला सशक्तिकरण की एक अनुपम मिसाल रही।यहूदी धर्म के धर्मगुरू मालेकर ने कहा कि जब मैं पहली बार वर्ष 1980 में दादी जी से मिला तो किसी ने मेरा परिचय यहूदी धर्मगुरू के रूप में दिया लेकिन दादी जी ने कहा कि मैं किसी धर्म को नहीं जानती, मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि ये मेरा भाई है। उन्होंने कहा कि दादी जी की इस एक बात ने मेरे जीवन में एक जबरदस्त परिवर्तन ला दिया। केंद्रीय कार्मिंक लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के सयुंक्त सचिव शंशाक शेखर ने भी दादी जी को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि दादी जी वास्तव में शान्ति एवं प्रेम की सच्ची मसीहा थी। उन्होंने कहा कि वि कल्याण में आध्यात्मिकता बहुत ज़रूरी है। इसके अलावा दादी जी को श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में बीके बृजमोहन, ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी समेत कई अन्य गणमान्यों ने अपने विचार रखे।