क्रॉसपैथी टकराव: आमने-सामने हुए एलोपैथी और आयुष डॉक्टर! -आयुष डॉक्टरों को एलोपैथी प्रैक्टिस पर आईएमए का विरोध -केंद्र ने राज्य सरकारों पर छोड़ा था फैसलाए महाराष्ट्र सरकार की योजना -आईएमए के ऐतराज पर आयुष संगठनों में भी रोष

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, क्रॉसपैथी यानि अन्य चिकित्सा पद्घति की प्रैक्टिस करना। भारतीय चिकित्सा जगत में क्रॉस पैथी लंबे समय से विवाद बना हुआ है। हाल ही में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के दौरान भी ब्रिज कोर्स को लेकर ये मुद्दा गरमाया थाए लेकिन केंद्र सरकार ने ये फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया। जिसके बाद महाराष्ट्र में आयुर्वेद के डॉक्टरों को एलोपैथी दवाएं लिखने की अनुमति देने की तैयारी है। इसी को लेकर अब आयुष और एलोपैथी डॉक्टरों के संगठन फिर आमने सामने आ गए हैं। महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर विरोध जताते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने विरोध का एलान कर दिया है। वहीं आईएमए के इस विरोध को आयुष डॉक्टरों ने गलत और संविधान के खिलाफ बताया है।
इन डॉक्टरों का कहना है कि लोकतंत्र में सदन की अहम भूमिका है। सदन की समिति ने ही निर्णय लिया था कि आयुष डॉक्टर भी एलोपैथी प्रैक्टिस कर सकते हैं बशर्ते राज्य सरकार की अनुमति हो। इससे डॉक्टरों की कमी भी दूर होगी लेकिन आईएमए के विरोध के जरिए समिति के फैसले पर सवाल उठ रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आयुष डॉक्टरों को एलोपैथी प्रैक्टिस को लेकर महाराष्ट्र ने पहल शुरु कर दी है। जिन बीएएमएस स्नातकों ने आधुनिक चिकित्सा में छह माह का प्रशिक्षण और एग्जिट टेस्ट पास किया हैए उन्हें हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तैनात किया जाएगा। ये आधुनिक दवाएं लिख सकेंगे।
नीम हकीमों से इलाज कराना है गलत: आईएमए
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. शांतनु सेन का कहना है कि यह काफी चिंताजनक है। इस फैसले से करोड़ों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है। वेलनेस केंद्र वास्तव में निवारक स्वास्थ्य देखभाल टीकाकरण प्रसवपूर्व देखभाल वाले उपकेंद्र हैं। इनको नीम हकीमों और झोला छाप लोगों द्वारा संचालित मेनोपेथी डिस्पेंसरियों के रूप में तब्दील नहीं किया जाना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा को आयुष के साथ मिलाने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. गिरीश त्यागी ने कहा कि ऐसा होने से यह तय है कि आयुर्विज्ञान क्षेत्र की गुणवत्ता में कमी आएगी। एमबीबीएस, बीएएमएस पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रोसिजर व अन्य प्रकार की अधय्यन, क्लीनिकल पण्राली में अंतर है। आयुव्रेद, एलोपैथ चिकित्सा एक मंच पर काम नहीं कर सकती है।
पहले से ही मिला हुआ है अधिकार आयुष:
आयुष चिकित्सकों के संगठन इंटिग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन (आईएम-आयुष) के राष्ट्रीय सचिव डा. आरपी पाराशर का कहना है कि केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को अधिकार है कि वे पंजीकृत आयुष डॉक्टरों को एलोपैथी दवाओं के प्रयोग का अधिकार दे सकते हैं। अधिकतर राज्यों में ये अधिकार मिल चुका है। बीएएमएस और बीयूएमएस कोर्स में आयुर्वेद के अलावा आधुनिक दवाएं भी पढ़ाई जाती हैं। ऐसे में सरकार अगर इन डॉक्टरों को मौका देना चाहती है तो विरोध का सवाल ही नहीं उठता। एलोपैथी डॉक्टरों को डर है कि इनका एकाधिकार खत्म हो जाएगा। इसलिए विरोध की आड़ में दबाव की राजनीति कर रहे हैं।

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