अर्शदीप कौर नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के साथ ‘छल’ और ‘‘नीच खेल’’ खेलने पर आम्रपाली समूह के खिलाफ सख्ती करते हुये आज उसकी 40 फर्मो के सभी बैंक खाते और चल संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह को 2008 से आज तक के अपने सारे बैंक खातों का विवरण पेश करने का निर्देश देने के साथ ही इन 40 फर्मो के सारे निदेशकों के बैंक खाते और उनकी निजी संपत्तियां जब्त करने का भी आदेश दिया है। आम्रपाली समूह को अभी भी परेशान करीब 42,000 मकान खरीदारों को उनके फ्लैट का कब्जा देना है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने इस समूह द्वारा कथित रूप से 2,765 करोड़ रूपए अन्यत्र ले जाने के मामले को गंभीरता से लेते कहा कि आपराधिक विासघात है और वह संबंधित पक्षों को सुनने के बाद इस पर गौर करेगी। न्यायालय ने कहा कि समूह की कंपनियां उसकी अनुमति के बगैर अब किसी भी तरह से अपनी चल संपत्तियों या बैंक खातों का इस्तेमाल नहीं करेंगी। पीठ ने उसकी अनुमति के बगैर ही नेशनल बिंिल्डग्स कंशट्रक्शन कापरेरेशन लि द्वारा आम्रपाल समूह से संबंधित कार्य करने के लिये को-डिवलपर्स आमंत्रित करने हेतु विज्ञापन जारी करने पर भी नाराजगी व्यक्त की। शीर्ष अदालत ने इस संस्था के अध्यक्ष और आवास तथा शहरी मामले के मंत्रालय के सचिव को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिये कल न्यायालय में तलब किय है। पीठ ने कहा कि कापरेरेशन का यह अनुचित कदम निश्चित ही न्यायालय के आदेश को ‘विफल’ करने वाला है। न्यायालय ने आम्रपली समूह को निर्देश दिया कि वह उन बाहरी और आंतरिक चार्टर्ड एकाउन्टैंट के नाम बताये जो उसकी 401 फर्मो के खातों को देख रहे थे। इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने इस बात पर अपनी नाराजगी व्यक्त की कि उसकी मंजूरी के बगैर ही कापरेरेशन कैसे इस मामले में विज्ञापन देने जैसा कदम उठा सकती है पीठ ने कहा, ‘‘यह तरीका नहीं है। यह न्यायालय की अवमानना है। यह उचित नहीं है। पूरी तरह अनुचित हो रहा है।’’ साथ ही पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या वे अपने आप में कानून हैं? जब अब इस मामले में विचार कर रहे हैं तो शिष्टता का तकाजा है कि उन्हें पहले हमारे पास आना चाहिए। वे समझते हैं कि वे समानांतर कानूनी कार्यवाही चला सकते हैं? यह सिर्फ अवमानना ही नहीं है बल्कि निवेशकों और न्यायालय के साथ गंभीर धोखा है।’’ न्यायालय ने कहा कि वह जानना चाहता है कि किसने यह विज्ञापन जारी किया और किन परिस्थितियों में यह प्रक्रिया शुरू की गयी। पीठ ने न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करने के लिये आम्रपाली समूह को भी आड़े हाथ लिया और कहा कि उसके निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। फर्म न्यायालय से ही छल नहीं कर रहीं हैं बल्कि उसके साथ नीच खेल खेल रही हैं। पीठ ने कहा कि उसके आदेश के बावजूद इस समूह ने अप्रैल 2008 से अपने बैंक खाते का विवरण नहीं दिया है। समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने कुछ दस्तावेज पेश किये जिनके अवलोकन के बाद पीठ ने कहा कि यह बैलेंस शीट जैसा ही है ओर इसमें बैंक खातों का विवरण नहीं है। —
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