कोरोना इम्पेक्ट: हार्ट अटैक की घटनाओं में 75 फीसद तक कमी! -लेकिन कोरोना पोजिटिव मृतकों में हृदयघात है बड़ा कारण

हृदय रोग विशेषज्ञों के समूह ने मतदान के जरिए इस आकलन का किया है खुलासा

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , विभिन्न अस्पतालों के कार्डियक सेंटर्स से प्राप्त आंकडों के अनुसार लॉकडाउन के बाद क़रीब 75 फीसद से 80 फीसद कम हार्ट अटैक के मामलों कमी दर्ज की गई है। पैन मैक्स कार्डियक कैथलैब के निदेशक डा. विवेका कुमार की निगरानी में यह आंकड़े जुटाए गए। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डाटा जारी करने के दौरान बताया कि हृदय विशेषज्ञों की एक वाड्स एप सोशल साइट पर किए गए मतदान में यह राय क़ायम हुई। दिल्ली समेत दुनियाभर के हृदय विशेषज्ञों ने भी इस रु झान की तरफ़ ध्यान दिलाया जैसे अमेरिका, इटली, स्पेन तथा चीन में। इस प्रवृति के कई कारण माने जा रहें हैं।
कमी की वजहें:
जन्मे जीवनशैली में भारी बदलाव की सबसे बढ़ि भूमिका मानी जा रही है। समय का दबाव लोगों के सर से हटना, प्रदूषण का कम होना, परिवार के साथ •यादा समय बिताना, धूम्रपान एवं मदिरा का सेवन कम करना, पार्टी, सामूहिक भोज एत्यादि का न होना आदि। इन करणो से बाक़ी जीवनशैली के कारण होने वाली बीमारियाँ भी कम हों रही हैं। लोगों का रक्तचाप, मधुमेह आदि भी नियंतण्रमें रहने लगा है।
पर कोरोना से हृदय घात की घटनाओं में वृद्धि:
दूसरी तरफ़ कोरोना संक्रमित लोगों में छद्म हृदय घात व एससे होने वाले मृत्यु की संख्या काफ़ी •यादा हैं। इटली के आंकड़ों बताते है की कोरोना संक्रमित मरीज़ों में मृत्यु दर 1 फीसद से 8 फीसद होती है लेकिन अगर इन मरीज़ों में हृदय के ट्रोपआई की मात्रा ज्यादा हो तो मृत्यु दर 50 फीसद से •यादा हो सकती है । एक 62 वर्षीय पुरु ष हृदय से मेरे हस्पताल में आए परंतु उनकी अंगीयोग्राफ़्य टेस्ट सामान्य आया ,परंतु करोना का टेस्ट पॉज़िटिव आया, यानी कि ये छद्म या करोना के कारण हृदय घात था धमनियो कि रु कावट के कारण नहीं। इन सारी जनकारियो से निष्कर्ष निकलता है क़िलॉक्डाउन के बाद भी अगर मनुष्य अपनी जीवन शैली को सरल रखता है तो रक्तचाप, हृदयघात, मधुमेह आदि ख़्ातरनाक बीमारियों पर काफ़ी हद तक क़ाबू किया जा सकता है।

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