आयकर कानून के पेंचदार, अस्पष्ट प्रावधानों को सरल बनायेगी समिति

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ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, आयकर कानून का नया मसौदा तैयार करने के लिये गठित समिति कर नितिय या दरों में बड़े बदलाव की सिफारिश करने के बजाय मौजूदा कानून में अस्पष्टताओं और जटिलताओं को दूर कर इसे सरल बनाने पर जोर देगी। समिति के संयोजक अखिलेश रंजन ने मंगलवार को यह बात कही। रंजन ने कहा कि छह सदस्यीय समिति का गठन 50 साल से भी ज्यादा पुराने आयकर कानून का मसौदा नये सिरे से तैयार करने के लिये किया गया है। समिति की जल्द ही बैठक होगी। उन्होंने कहा कि नया आयकर कानून अधिक सरल भाषा में होगा। रंजन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कार्यबल के लिये कर की दरों में बदलाव उसका मुख्य एजेंडा नहीं है। .. कार्यबल का ध्यान कानून को सरल बनाने पर होगा और इसमें व्याप्त जटिलताओं और विसंगतियों को दूर करना है।’’ उन्होंने कहा कि आयकर कानून 1961 में उसके अस्तित्व में आने के बाद से अब तक कई तरह के अनुच्छेद, प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गये हैं। इन्हें अब सरल भाषा में लिखे जाने की आवश्यकता है। रंजन ने कहा, ‘‘आयकर कानून में एक के बाद एक नये प्रावधान, स्पष्टीकरण के ऊपर स्पष्टीकरण जोड़े गये हैं जो कि काफी अस्पष्ट और जटिल बन गये हैं। इसलिये हमें इन प्रावधानों और कानून की सही मंशा को इसमें लाना होगा। ऐसे में चीजों को अधिक स्पष्ट बनाते हुये कुछ नई नीतिगत पहलें भी हो सकती हैं।’’ केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) में सदस्य (विधायी कार्य) रंजन ने कहा, ‘‘मकसद कोई नई कर नीति लाने का नहीं है बल्कि इसका मकसद नये कानून को अधिक सरल और समझने योग्य बनाना है।’’ वित्त मंत्रालय ने समिति का गठन पिछले साल नवंबर में किया था। तब अरंिबद मोदी को इसका संयोजक बनाया गया था जो कि इस साल सितंबर में सेवानिवृत हो गये। इसके बाद 26 नवंबर 2018 को रंजन को समिति का नया संयोजक बनाया गया और उन्हें 28 फरवरी 2019 तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। यह पूछे जाने पर कि समिति एक फरवरी 2019 को अंतरिम बजट पेश होने से पहले कोई रिपोर्ट सौंपेगी? रंजन ने कहा यह नहीं लगता है। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार एक फरवरी को 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करेगी। पूर्ण बजट अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार पेश करेगी।

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