भारत चौहान रायपुर, छत्तीसगढ सरकार ने शराबबंदी को लेकर पूर्व सरकार के अध्ययन दल की रिपोर्ट को खारिज कर नया अध्ययन दल गठित करने का फैसला किया है। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अकबर ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने शराबबंदी के बारे में वाणिज्यिक-कर (आबकारी) विभाग के तत्कालीन 11 सदस्यीय अध्ययन दल की रिपोर्ट को अव्यवहारिक मानते हुए खारिज करने और नया अध्ययन दल गठित करने का निर्णय लिया है। मंत्री ने बताया कि नवीन अध्ययन दल के द्वारा राज्य सरकार को दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट दी जाएगी। अकबर ने बताया कि पूर्व सरकार ने 11 सदस्यीय अध्ययन दल का गठन किया था। इस दल में सांसद, विधायक, आबकारी विभाग के अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। दल ने अलग अलग राज्यों का दौरा किया था। उन्होंने बताया कि अध्ययन दल ने अनुशंसा की थी कि छत्तीसगढ राज्य की सीमाएं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्रप्रदेश से जुड़ती है। इन सभी राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है। इसलिए राज्य में अदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के रीति रिवाज तथा पड़ोसी राज्यों की स्थिति को ध्यान में रखकर ही आबकारी नीति का निर्धारण किया जाना चाहिए। समिति ने अनुशंसा में कहा है कि विभिन्न राज्यों की आबकारी नीति के अध्ययन के बाद समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि किसी भी राज्य की नीति का पूर्णत: अंगीकृत किया जाना उचित नहीं है। क्योंकि छत्तीसगढ राज्य की भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां भिन्न है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए राज्य में शराब की खपत को क्रमश: कम करना उचित होगा। समिति ने अनुशंसा की है कि मादक पदाथरें की लत से निजात के लिए पुनर्वास केंद्रों की स्थापना पर विचार किया जाना चाहिए। समिति ने राज्य में स्वास्थ्यगत दृष्टि से देशी मदिरा के विक्रय को धीरे धीरे समाप्त करने और विदेशी मदिरा के उत्पादन और उपलब्धता को बढावा देने की अनुशंसा की है। मंत्री अकबर ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने शराब बंदी के बारे में वाणिज्यिक-कर (आबकारी) विभाग के अध्ययन दल की इस रिपोर्ट को अव्यवहारिक माना है। इस संबंध में अब नया अध्ययन दल गठित किया जाएगा। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में कहा था कांग्रेस सरकार द्वारा राज्य में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। वहीं बस्तर और सरगुजा जैसे अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा को शराबबंदी का अधिकार होगा।
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