बेटी का दर्द बांटने में व्यस्त पिता ने गंवाई नौकरी -जीटीबी अस्पताल प्रशासन ने दिखाया एनएचआरसी के आदेशों को ठेंगा

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली,जीटीबी अस्पताल में डॉक्टरों के लापरवाही की शिकार दो वर्षीय मासूम प्रियांशी आंशिक विकलांगता का शिकार होगी। विशेषज्ञों की मानें तो इस केस में इसकी अधिकतम संभावना है। आमतौर पर ऐसे मामले में 24 घंटों के भीतर चिकित्सकीय सहायता की जरूरत पड़ती है। बताया गया है कि ‘ज्यादा देर होने के बाद हड्डियों के टिश्यू निर्माण की संभावनाएं बेहद क्षीण हो जाती है। बच्ची के आधे शरीर पर प्लास्टर है और जब यह खुलेगा तो भी वह पूरी तरह ठीक से चल पाएगी या नहीं जानकारों को इसकी उम्मीद कम ही लग रही है। यह सब तब है जबकि करीब दो सप्ताह पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी कर पीड़ित पक्ष को वाजिब मुआवजा देने के निर्देश दे चुका है।
पिता पर रोजी रोटी का बन गया संकट:
अपनी एकमात्र संतान को संभालने के चक्कर में पिता सुरेंद्र वर्मा अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। बच्ची की मां हाउस वाइफ है। ऐसे में परिवार को आर्थिक परेशानी से भी दो-चार होना पड़ रहा है।
न्याय की उम्मीद नहीं:
प्रियांशी के पिता सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि इस अस्पताल में लापरवाहियों को लेकर होने वाली जांच से न्याय मिलने की उन्हें बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों मे जीटीबी अस्पताल का पुराना इतिहास मन को आशंकित करता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पहले भी इंजेक्शन से आंखों में होने वाले संक्रमण के मामले को लेकर अभी तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस मामले में क्या चल रहा है यह किसी को भी नहीं मालूम है। उन्होंने कहा कि हलांकि शिकायत के मद्देनजर अस्पताल की बताई तमाम प्रक्रियाओं को वे पूरा कर चुके हैं। बावजूद इसके कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद भी उन्हें न्याय मिल पाएगा या नहीं। यह सवाल बना हुआ है।
पहले भी हो चुकी है लापरवाहियां :
डायबिटिक रेटीनोपैथी से पीड़ित करीब 20 लोगों के आंख में इंजेक्शन देने के बाद संक्रमण हो गया था। इनमें से एक मरीज के आंखों की रोशनी ही चली गई। बांकी अन्य मरीजों के आंखों से अब भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी हस्तक्षेप किया था। बावजूद इसके अब तक इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई का इंतजार ही हो रहा है।
इंजेक्शन के बाद मरीज को हो गया गैंगरीन :
बीते जून में जीटीबी अस्पताल में पप्पी नामक शख्स को पेट दर्द की समस्या के लिए जो इंजेक्शन दिया। उसने मरीज की जिंदगी को बदल कर रख दी। मरीज के जिस हाथ में इंजेक्शन दिया गया। उसमें गैंगरीन हो गया। नतीजतन मरीज का हाथ काटना पड़ा। इस मामले में भी मरीज न्याय की प्रतिक्षा कर रहा है।
जांच कर रहे हैं:
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. एसके गौतम ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। हम रिपोर्ट्स आने का इंतजार कर रहे हैं। जहां तक इलाज में लापरवाही का आरोप है यह गलत है, यहां आने वाले मरीजों को हम बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं सीमित संसाधनों के तहत देते हैं। हमारे लिए मरीज को दर्द करना मुख्य उद्देश्य रहता है।

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