स्तनपान एक बच्चे के लिए प्रतिरक्षा का सर्वोच्च रूप -मां का पहला दूध या कोलोस्ट्रम तरल सोना,स्वास्थ्य को बेहतर करता है

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , स्तनपान कराने वाली माताओं को नियमित और अनुशंसित शेडय़ूल के अनुसार टीका लगाया जा सकता है, एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है। अध्ययन के निष्कषरे को ब्रेस्टफीडिंग मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। स्तनपान कराने वाली माताओं को सामान्य और खसरे सहित अधिकांश अन्य टीकाकरण से कोई जोखिम नहीं हैं, और सच तो यह है कि टीकाकरण से मां व शिशु दोनों को लाभ होता है।
यह भी:
स्तनपान के बारे में पहले भी कहा गया है कि यह अस्थमा के खतरे को कम करने के साथ ही मां की सेहत के लिए लाभदायक होता है। स्तनपान की दरों में सुधार के लिए दुनिया भर में प्रयास चल रहे हैं, और डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य है कि दुनिया भर में आधे से अधिक शिशुओं को 2025 तक कम से कम छह महीने तक विशेष रूप से स्तनपान कराया जाए।
विशेषज्ञों की नजर में:
एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डा. केके अग्रवाल ने कहा, कम से कम पहले 6 महीनों तक शिशुओं के लिए स्तनपान एक आवश्यक चीज है। विशेष रूप से, स्तनपान कराने से संक्रमण और बीमारियों की संभावना को कम किया जा सकता है। हालांकि, कई कारक हो सकते हैं जो महिलाओं को स्तनपान से हतोत्साहित करते हैं, जैसे बच्चे को स्तनपान कराने के लिए उचित स्थान का अभाव, इसके लाभों के बारे में अज्ञानता और परिवार का दबाव। इसके अलावा, बाजार में कई शिशु आहार फमरूले उपलब्ध हैं, जिन्हें कभी-कभी एक स्वस्थ विकल्प के रूप में पेश किया जाता है, जबकि ये स्तनपान के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
मैक्स कैथलैब के निदेशक डा. विवेका कुमार के अनुसार स्तन का दूध एंटीबडी और एंजाइमों से समृद्ध होता है, जो कई बीमारियों से शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। अध्ययन में पाया गया है कि जो बच्चे नियमित रूप से स्तनपान करते हैं, उनका वजन बेहतर होता है, साथ ही उनमें आईक्यू अधिक, बेहतर प्रतिरक्षा और एलर्जी व संक्रमण का खतरा कम होता है।
साकेत मैक्स के कार्डियलॉजिस्ट डा. रजनीश मल्होत्रा ने कहा, कोलोस्ट्रम एक शिशु के लिए तरल सोनक की तरह होता है। यह वसा और एंटीबडी से समृद्ध होता है और शिशु की पाचन व आंत्र पण्राली को सुधारता है। जब बच्चा मां के गर्भ से बाहर आता है, तो उस पर बाहर से अनेक तरह के हमले होते हैं। कोलोस्ट्रम इन सबसे शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है।
रखें ध्यान:
बच्चे को उठाने से पहले अपने हाथों को साबुन से धोएं या हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें।
बच्चे के सिर और गर्दन को सहारा देते समय सावधानी बरतें।
जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करें।
सुनिश्चित करें कि शिशु पहले 6 महीनों तक स्तनपान करे।
बच्चे की मांग पर या 24 घंटे में कम से कम 8 बार दूध पिलाना चाहिए।
किसी भी परंपरा के तहत षिषु को स्तन के दूध के अलावा शहद, पानी या चीजें पिलाने या खिलाने से बचें, क्योंकि इससे उसे संक्रमण हो सकता है।
गर्भनाल गिरने तक और जब तक नाभि पूरी तरह से ठीक न हो जाये यानी 1 से 4 सप्ताह तक, शिशु को स्पंजन कराएं।
कंगारू मदर केयर विशेष रूप से जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं के लिए होती है, जिसमें शिशु को एक विशेष तरीके से छाती से चिपका कर रखा जाता है, ताकि मां के साथ त्वचा का संपर्क रहने के अलावा, शिशु को बार-बार स्तनपान करवाया जा सके।

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