हर पांच सेंकड में गरीब को इलाज दे रहा आयुष्मान भारत -देश ही नहीं विदेशी मुल्क के लोगों को भा रही है पीएम-जेएवाई योजना

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली ,हर पांच सेंकड में गरीब मरीज को आयुष्मान भारत के जरिए इलाज मिल रहा है। अब तक दो करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा का कार्ड मिल भी चुका है। आयुष्मान भारत के उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ डा. इंदुभूषण ने ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत अब तक 13.5 लाख मरीज अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। इन मरीजों पर सरकार इलाज में 18 हजार करोड़ रु पये खर्च किए हैं।
पीएम-जेएवाई:
योजना को 157 दिन पूरे होने पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय सहारा से डा. भूषण ने कहा कि इस योजना के तहत 2 करोड से भी अधिक हेल्थ कार्ड जारी किए जा चुके हैं, इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। डा. भूषण ने बताया कि हर साल इलाज पर होने वाले खर्च के चलते 6 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे पहुंच जाते हैं। दूसरी ओर 40 करोड़ गरीब आबादी निजी अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकती है, जबकि स्वास्थ्य संबंधी 70 फीसद सेवाएं निजी क्षेत्र मुहैया करा रहा है। इस कार्यक्रम को 33 राज्य लागू कर चुके हैं और पंजाब व केरल में जल्द ही यह योजना लागू होने वाली है। दिल्ली सरकार इसे केजरी योजना के नाम कर लागू करने के पक्ष में है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विभिन्न योजनाओं में से पीएम-जेएवाई अति महात्वकांक्षी योजना है।
कितने परिवार हो रहे हैं कवर:
इस स्कीम के तहत 10.74 करोड़ परिवारों के करीब 50 करोड़ लोग लाभार्थी होंगे। इनमें से करीब 8 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं तो करीब 2.4 करोड़ शहरी परिवार हैं। इस तरह देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी को इसके तहत मेडिकल कवर मिल जाएगा। लाभार्थी परिवार पैनल में शामिल सरकारी या निजी अस्पताल में प्रति साल 5 लाख रु पये तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे। इसके तहत इलाज पूरी तरह कैशलेस होगा। इस स्कीम की शुरु आत के साथ ही देश के 10 हजार सरकारी और निजी अस्पतालों में गरीबों के लिए 2.65 लाख बेड की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
विदेशी मुल्क के एक्सपर्ट की नजर में:
ऑस्ट्रेलियन डिजिटल हेल्थ एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टिम केल्सी को आयुष्मान भारत के टॉर्च बियरर से सम्मानित किया। यह सम्मान कागज रहित स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की दिशा में उनके कायरे के लिए दिया गया। उन्होंने कहा कि यह भारतीयों के लिए बेहतरीन योजना है। तय है कि मृत्युदर में तेजी से कमी आएगी।
ऐसी मिलती है इलाज पर खर्च:
नहीं, इस योजना पर होने वाले खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठा रही है। आने वाले खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र सरकार जबकि 40 प्रतिशत भार राज्य सरकारों खर्च कर रही है। 2018-19 के बजट में केंद्र इस मद में 2,000 करोड़ रु पये की टोकन मनी उपलब्ध करा चुका है।

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