गठिया, ल्यूकोडरमा, अस्थमा समेत कई अन्य असाध्य रोगों का तोड़ ढुढने में जुटे हैं आयुष वैज्ञानिक -जेनेरिक दवाओं के वितरण के लिए 12 और दुकानें खोलने की है योजना

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , केंद्रीय आयुव्रेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएएस) के वैज्ञानिक आयुष विभाग के साथ मिलकर आयुव्रेद के क्षेत्र में नई दवाओं को तलाशने का काम शुरू कर दिया है। गठिया, ल्यूकोडरमा, अस्थमा के अलावा जीवनशैली संबंधी रोगों के तहत मधुमेह, उच्च रक्तचाप, सिर दर्द, हड्डियों का टुटना, डिमेंसियां जैसे रोगों के कारणों को दूर करने में कौन सी दवाएं असरदार होगी, इस बारे में पहले और दूसरे चरण का परीक्षण किया गया है। जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
खास यह भी है इन दवाओं के बाजार में प्रचलन में लाने से पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों के वैज्ञानिकों द्वारा गुणवत्ता पर जांच कराया जाएगा। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद ही इसे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मरीजों के लिए सरकारी अस्पतालों, फाम्रेसी काउंसिलों के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा। आयुष विभाग वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एमवाई खान के अनुसार आयुर्वेद के क्षेत्र में अब तक 645 एकल और 202 सम्मिश्रित औषधियों के गुणवत्ता मानक प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
शोध के सकारात्मक परिणाम:
आयुर्वेद में वर्णित 500 तरह की जड़ी-बूटियों पर गहन अध्ययन और शोध के बाद अंतत: छह सर्वश्रेष्ठ का चयन किया गया। आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित दारूहरिद्रा, गिलोय, विजयसार और गुड़मार आदि का चयन मधुमेह के इलाज में इनके प्रभाव को देखते हुए किया गया है। इसका एक अहम अवयव इंसुलिन डीपीपी-4 (डिपेप्टीडायल पेप्टीडेस- 4) के स्रव को रोकता है।
मधुमेह के उन्मूलन पर जोर:
आयुष विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष मोदी सरकार ने 2016 में मिशन मधुमेह शुरू किया था ताकि जीवनशैली से संबंधित इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सके। इस मिशन के तहत डायबिटीज के आयुर्वेद के माध्यम से बचाव और नियंतण्रके लिए योजना तैयार की जा रही है।
जेनरेकि दवा की दुकानें बढ़ेगी:
दिल्ली नगर निगम में आयुष विभाग के निदेशक डा. चंद्रकेतू तेवतिया ने कहा कि दिल्ली सरकार और म्यूनिसिपल कारपोरेशन ऑफ दिल्ली की मदद से राजधानी में 12 से अधिक जेनेरिक दवा वितरण केंद्र की शुरूआत का प्रस्ताव है। आयुव्रेद से जुडे वैद्यो को चिकित्सा विज्ञान में हो रही प्रगति से रूबरू कराने के लिए कान्टीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हर्बल पार्क विकसित करने की भी योजना है।

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