भगवान हनुमान को ‘दलित का प्रमाणपत्र देने के लिये किया गया आवेदन

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली/वाराणसी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भगवान हनुमान को ‘दलित’ बताये जाने को लेकर उठे विवाद के बीच वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपालंिसह यादव की अगुवाई वाली प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) ने वाराणसी जिला प्रशासन से इन आराध्य का ‘जाति प्रमाणपत्र‘ जारी करने के लिये आवेदन किया है । प्रसपा ने भगवान हनुमान को दलित बताये जाने को लेकर उत्पन्न विवाद के मैदान में उतरने के लिये यह अनोखा तरीका अपनाया है। पार्टी की युवा शाखा के जिलाध्यक्ष हरीश मिश्र ने बताया ‘‘हमने वाराणसी जिला कलेक्टर कार्यालय से भगवान हनुमान का जाति प्रमाणपत्र जारी करवाने के लिये आवेदन किया है । चूंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान को जाति की राजनीति में घसीटा है, इसलिये हम उनका जाति प्रमाणपत्र चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि अगर जिला प्रशासन उन्हें एक हफ्ते के अंदर यह प्रमाणपत्र नहीं देता है तो वह धरना करेंगे। जाति प्रमाणपत्र के लिये प्रस्तुत आवेदन में भगवान हनुमान की तस्वीर चिपकायी गयी है। उनके पिता के नाम की जगह महाराज केसरी और माता के स्थान पर अंजना देवी लिखा है। पते के स्थान पर प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर का नाम लिखा है, वहीं जाति के स्थान पर दलित शब्द का जिक्र है। इसके अलावा उम्र के कालम में ‘अनंत‘ लिखा गया है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हाल में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह भगवान हनुमान को ‘दलित और वंचित’ बताते दिख रहे हैं। इसे लेकर वह विपक्षी दलों के निशाने पर हैं। इस बीच अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य कृष्णदत्त शर्मा ने कहा कि हनुमान जी आदिवासी समुदाय से थे, वे सुग्रीव के कहने पर जब भगवान राम, लक्ष्मण वन गमन की तरफ जा रहे थे तो वे उनकी पहचान करने के लिए कि कहीं वह शत्रु तो नहीं है, उनका वन आने का लक्ष्य क्या है, उनके कंधे पर धनुष वाण भी थे, तब ब्राह्मण के रूप में हनुमान जी प्रगट हुए। सच्चाई का पता चलते ही वे पुन: अपने बानर स्वरूप में आ गए। यह प्रमाण रामायण में स्पष्ट लिखा हुआ है। आचार्य शर्मा ने कहा कि ऐसे में जो लोग उन्हें दलित कहा रहे हैं वे अपना ज्ञान बढ़ाए, रामायण बारंमबार अध्ययन करे, तभी उनकी सोच बदलेगी।

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