एक्सप्रेसवे हादसे की पूरी खबर का विश्लेषण

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ज्ञान प्रकाश के साथ भारत चौहान नई दिल्ली सभी को उनका जीवन बचाने के लिए बेसब्री से इंतजार था, रविवार को तड़के हुए हादसे की खबर डा. हर्ष एवं अन्य डाक्टर्स साथियों के घायल होने की खबर मिल चुकी थी। इसमें न सिर्फ जूनियर रेजिडेंट्स, सीनियर रेजिडेंट्स शामिल थे बलकि जेपीएन सेंटर और एम्स दोनों के फैकल्टी सदस्यों का एक दल इमरजेंसी के बाहर खड़ा हो गया था। मिनी ऑपरेशन थियेटर, जम्बों ऑपरेशन थियेटर के साथ ही अति संघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू), सीसीयू को भी विशेषज्ञों की टीम को एलर्ट कर दिया गया था। सभी घायलों के आने का इंतजार कर रहे थे जैसे ही एंबुलेंस घायल डॉक्टर्स को लेकर अस्पताल पहुंची तुरंत ही सभी की प्राथमिक जांच की गई जिनकी नब्ज चलना बंद हो गई थी उसे कानूनी औपचारिकता के लिए अलग रखा गया जबकि अन्य घायलों को तुरंत भर्ती कर इलाज प्रारंभ कर दिया गया।
दु:ख है, सदमे में है डाक्टर, स्टाफ, परिजन:
जिनकी मौत घटनास्थल पर हो गई उनकी जान न बचा पाने का एम्स जेपीएन डाक्टरों के चेहरे पर साफ दिखा। डाक्टर, नर्सिग स्टाफ के साथ ही उनके परिजनों का दर्द है कि आखिर क्यों जश्न बनाने के लिए उन्होंने मौत का रास्ता चुना। मेन ओटी के डाक्टर ने घटनास्थल वाली सड़क को खूनी सड़क करार दिया। उसने कहा कि एक बार वे भी हादसे का शिकार होते-होते बाल-बाल बच गए। तब से वे किसी को उस सड़क पर जाने की सलाह नहीं देते।
गौरतलब है कि रविवार की सुबह राजधानी दिल्ली और आस-पास के इलाकों में हल्का कोहरा छाया रहा, जिसके चलते कई उड़ानें रोक दी गई। आशंका जताई जा रही है कि एक्सप्रेस-वे पर कोहरे की वजह से ही यह हादसे हुए।
दोस्तों की नजर में:
शनिवार को न्यू मेडिकल इमरजेंसी का बैच ए के सात डॉक्टर जब अपनी शाम की शिफ्ट खत्म कर आठ बजे वहां से निकला तो प्लान था बैच के हेड और एक मात्र सिनियर रेजिडेंट हषर्द के जन्मदिन पर मौज मस्ती करने का। इसके लिए वह एक साथ एम्स से क्नॉट प्लेस के लिए निकले थे। लेकिन तब इनमें से किसी को पता नहीं था कि यह हषर्द का आखिरी जन्मदिन होगा। महाराष्ट्र के अकोला निवासी हषर्द के साथ ही पंजाब के फिजल्का निवासी यशप्रीत, हरियाणा की यमुना नगर निवासी हेमलता के लिए भी यह आखिरी जन्मदिन पार्टी साबित हुआ। सभी डॉक्टर नॉन एकेडेमिक थे। हषर्द ने बीते जुलाई में संस्थान ज्वाइन किया था। वहीं शेष सभी जूनियर रेजिडेंट इसी वर्ष संस्थान में आए थे। इसलिए इन सभी के लिए एक साथ कोई भी उत्सव का यह पहला मौका था। इसके अलावा इन सभी की एक साथ ही अगली ड्यूटी रविवार शाम आठ बजे से होनी थी। इसलिए इन सभी के पास जन्मदिन की मस्ती के लिए रविवार का पूरा दिन था। शायद यही वजह रही कि कनॉट प्लेस की डिनर इन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया और इन्होंने आगरा जाने का प्रोग्राम बना लिया।
यह भी:
आगरा जाने का प्लान बनने के बाद हषर्द ने किराए पर इनोवा कार बुक किया। जिसे बर्थ डे ब्वाय डा. हषर्द खुद चला रहे थे। इनके बगल में डा. यशप्रीत बैठे थे। हषर्द की पीछे वाली सीट पर बिहार के मधुबनी निवासी डा. महेश बैठे थे, तो इनके बगल में और डॉ. यशप्रीत के पीछे मध्य प्रदेश के हमीरपुर डॉ. जितेंद्र बैठे थे। वहीं सबसे पीछे वाली सीट पर तीनों लड़कियां बिहार के भागलपुर निवासी डॉ. अनुभवा, डा. हेमलता और त्रीपुरा निवासी डॉ. कैथरीन बैठी थीं।
डाक्टरों राय:
एम्स के अनुसार घायलों के इलाज के लिए एम्स ट्रामा सेंटर की डीन (रिसर्च) डॉ. चित्रा सरकार, ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. प्रवीण अग्रवाल आर्थो, ट्रॉमा सर्जरी, इमरजेंसी मेडिसिन और न्यूरो सर्जरी के अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों समेत ट्रॉमा सेंटर में मौजूद रहे। इनके साथ ही एम्स के नव नियुक्त डीडीए (एमडमीन) और ट्रॉमा सेंटर के एडीशनल मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अमीत लाथवाल भी ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।
बनी कमेटी:
दुर्घटना के शिकार तीनों डॉक्टरों के असमय और दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने शोक प्रकट किया है। वहीं घायलों की चिकित्सा और मृतकों के परिजनों की मदद के लिए ट्रॉमा सेंटर के डीन (एकेडेमी), डीन रिसर्च, टॉमा सेंटर के प्रमुख और ट्रॉमा सेंटर के एडीशनल एमएस की एक कमेटी बनाई है। मृतकों का पोस्टमार्टम मथुरा में ही किया जा रहा है। जहां से उनके शवों को दिल्ली लाया जाएगा। उनके शवों को लाने के लिए इमरजेंसी मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर डॉ. रितिन मोहिंद्रा के साथ चार रेजिडेंट डॉक्टरों को मथुरा भेजा गया है।
खत्म हुआ बैच ए:
न्यू मेडिकल इमरजेंसी में तीन शिफ्ट में कुल 21 डॉक्टर काम करते हैं। इन शिफ्टों को एक सीनियर रेजिडेंट हेड करता है और उसके साथ छह जूनियर रेजिडेंट होते हैं। यह बैच सुबह 8 बजे से डेढ़ बजे तक, डेढ़ बजे से शाम 8 बजे तक और फिर रात के 8 बजे से सुबह के 8 बजे के शिफ्ट में काम करते हैं। दुर्घटना के शिकार सभी डॉक्टर बैच ए से थे। ऐसे में इनके नहीं रहने की वजह से न्यू मेडिकल इमरजेंसी का बैच ही खत्म हो गया। हालांकि अस्पताल ने रविवार शाम को 8 बजे से सुबह 8 बजे की शिफ्ट के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर लिया है।

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