रविवार को एक मंच पर जुटे दुनिया भर के दंत विशेषज्ञ, नवीनतम पद्धतियों को साझा किया

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भारत चौहान नई दिल्ली, फेशियल ट्रॉमा, जिसे मैक्सिलोफेशियल ट्रॉमा भी कहा जाता है। चेहरे पर कोई शारीरिक आघात होता है चेहरे का आघात मस्तिष्क ऊतक चोटिल होना, चेहरे से संबंधित घाव, चेहरे की हड्डियों के फ्रैक्चर, जबड़ों में फैक्चर, आंख में चोट और जख्म और नोज फ्रैक्चर जैसी परेशानियों को मैक्सिलोफेशियल ट्रामा की श्रेणी में आता है। देशभर में लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं की तादाद को देखते हुए इस चिकित्सा विधि में कुशलता और विशेषज्ञता बेहद जरूरी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रो. डा. अतुल माथुर ने कहा कि इस चिकित्सा क्षेत्र की कड़ियों को और भी ज्यादा मजबूत करने का फैसला किया गया है। इस क्षेत्र में विशेषज्ञता, आधुनिक विधि और कार्यकुशलता सहित मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों पर आधारित एक दिवसीय सेमिनार और कार्यशाला रविवार को एम्स में आयोजित किया गया। जिसमें दुनियाभर के दंत विशेषज्ञों ने भाग लिया और दंत विज्ञान क्षेत्र में ईजाद नवीनतम पद्धतियों को साझा किया। मैक्सिलोफेसियल सोसाइटी और एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ ओरल और मैक्सिलोफेसियल सर्जरी (सीडीइआर) की ओर से संयुक्त रु प आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्ष एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने किया। इस दौरान डिर्पाटमेंट ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफिसयल सर्जरी के चेयरपर्सन डॉ. अजय, वाइस चेयरपर्सन प्रो. ऑनिकला भुटिया, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल यादव ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। उधर, मैक्स हेल्थकेयर की ओर से आयोजित सम्मेलन में डा. विवेका कुमार ने कहा कि स्वच्छ दांत होने से दिल में रक्त का संचारण भी सामान्य रहता है। इसलिए हृदय रोगियों की पहचान हम कई बार उनके दांतों से कर लेते हैं। दांतों की नियमित सफाई जरूरी है।

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