ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, देश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान एम्स पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। यहां के प्रोफेसर कर्मचारियों को अपने निजी कार्यों में लगाते हैं, जबकि मरीज से जुड़े कार्यों की जिम्मेदारी छात्रों को देते हैं। रविवार को एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के एक पीएचडी छात्र ने इसी से तंग आकर आत्महत्या का प्रयास किया। छात्र रजत प्रकाश ने गौतम नगर स्थित अपने कमरे में बंद होकर ओवरडोज ले ली, लेकिन समय रहते आसपास के कमरों में मौजूद दोस्तों की मदद से उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। जिसके बाद रजत का एम्स के सी1 वार्ड में उपचार चल रहा है। हालांकि एम्स प्रबंधन ने इस पर चुप्पी साध ली है।
यूपी के मुज्जफरनगर निवासी रजत प्रकाश पिछले पांच वर्षो से एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग से पीएचडी कर रहे हैं। रजत के मुताबिक उनका काफी समय से मानिसक शोषण किया जा रहा है। पीएचडी से ज्यादा उन्हें मरीजों के सैंपल लेने पड़ रहे हैं और प्रयोगशाला में घंटों गुजारने पड़ रहे हैं, जबकि वे यहां पीएचडी के शोद्यार्थी हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पीएचडी में करीब चार विषयों पर परीक्षा देनी होती है, लेकिन अब तक उनकी महज एक ही विषय पर परीक्षा हो पाई है। इस विषय की परीक्षा पीएचडी में दाखिला लेने के एक वर्ष के भीतर हो जानी चाहिए थी। वहीं एम्स के सोसायटी ऑफ यंग साइंटिस्ट के सचिव प्रेमशंकर मिश्रा का कहना है कि रजत ही नहीं, बल्कि इस तरह का व्यवहार कई छात्रों केसाथ किया जा रहा है। कई बार प्रबंधन से शिकायत की जा चुकी है। लेकिन कोई असर दिखाई नहीं देता।
बच्चों की फीस भरते रहते हैं कर्मचारी:
प्रेम शंकर मिश्रा ने बताया कि मरीजों के सैंपल लेने और उनकी जांच करने के लिए सरकार ने बकायदा एम्स को कर्मचारी दे रखे हैं, लेकिन कुछ प्रोफेसर इन कर्मचारियों को अपने बच्चों की फीस भरने, सब्जियां और खाना लाने जैसे घर के कार्यों में व्यस्त रखते हैं। जबकि मरीजों की जिम्मेदारी छात्रों को दे दी जाती है। चूंकि प्रोफेसर के हाथ में छात्र का पूरा भविष्य होता है इसलिए खौफ की वजह से कोई शिकायत नहीं करता। जिसके चलते नौबत रजत की तरह आत्महत्या तक पहुंच जाती है।
जिंदगियों से खेल रहे हैं डॉक्टर:
एम्स के अन्य पीएचडी छात्रों ने बताया, एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर प्रोफेसर जिंदगियों से खेल रहे हैं। अपने व्यक्तिगत कार्यों की वजह से इन लोगों ने छात्रों के भविष्य को दांव पर लगा दिया है। कई घंटे तक प्रयोगशाला में ड्यूटी करने केबावजूद भी प्रोफेसर तरह तरह की धमकियां इन्हें देते हैं। जिसकी वजह से छात्रों पर तनाव अत्यधिक है।