ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली सरकार ने आयुष्मान भारत से संबंधित सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने दावा किया कि लगभग सारी औपचारिकताएं और तैयारियां पूरी कर ली गई है। कुछ विंदुओं पर विचार किया जा रहा है। अगामी 25 सितंबर को विधि पूर्वक इसकी देशव्यापी स्तर पर लांच कर देंगे। इसके इतर निजी अस्पतालों से योजना के तहत निर्धारित पैकेज और शुल्क को लेकर असहमति जताई है। नतीजतन, आयुष्मान भारत को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गई है। हालांकि, अस्पतालों ने संबंधित प्रक्रियाओं को शुरु भी कर दिया है। निजी अस्पतालों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे योजना के तहत काम करेंगे लेकिन लंबे समय तक वर्तमान में निर्धारित पैकेज के साथ मरीजों को उपचार देना बेहद मुश्किल साबित होगा।
आयुष्मान के सीईओ इंदु भूषण के मुताबिक फिक्की की तरफ से पैकेजों से संबंधित रिपोर्ट सौंपी गई है और सरकार रिपोर्ट के आधार पर विचार और विश्लेषण कर रही है। अपोलो अस्पताल की ‘वाइंट एमडी संगीता रेड्डी ने आयुष्मान भारत स्कीम का स्वागत किया है उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ग के मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं दी जानी चाहिए लेकिन जहां तक पैकेज का मामला है तो गुणवत्तापूर्ण सेवा भी देना भी महत्पूर्ण होगा। ऐसे में पैकेजों को लेकर सरकार को एकबार फिर पुर्नविचार करनी चाहिए। पैकेट के तहत विभिन्न प्रकार की सर्जरियों और बीमारियों की स्थिति उपचार, नैदानिक जांचों की कीमतों को स्पष्ट नहीं किया गया है। भुगतान कब और किस मद में होगा। राजधानी के लैब्स और डायगोनेस्टिक सेंटर्स के संचालकों के मुताबिक आयुष्मान भारत को ध्यान में रखते हुए वे विशेष विंग तैयार कर रहे हैं। विशेष विंग स्कीम को लागू करने से लेकर इससे संबंधित प्रत्येक पहलू का ध्यान रखेंगा। इस विंग में 8-10 लोगों को शामिल किया गया है।
पहले नीति बने तब हम पालन करेंगे:
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑप कामर्स (फिक्की) द्वारा तैयार दिशा निर्देशों में कई तरह के संशय की स्थिति है। मसलन यदि मरीज को गंभीर बीमारी है और किसी निजी कारपोरेट अस्पताल की वर्तमान में पालिसी यह है कि पहले मरीज के रिश्तेदार से कुछ राशि जमा कराते हैं। इसके उपरान्त हर दिन उपचार के मद्देनजर शुल्क वसूलते हैं। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य नीति के तहत भुगतान कब होगा यह स्पष्ट नहीं है। बिलिंग, ओवर बिलिंग का मुद्दा परेशानी का सबब बनेगा। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डा. विनय अग्रवाल ने कहा कि सरकार यदि सचमुच मरीजों को बेहतर सेवाएं देना चाहती है तो उसे खुले मंच पर निजी क्षेत्र के चिकित्सा उद्यमियों से बातचीत करनी चाहिए। उनकी समस्याओं को दूर करने के प्रयासों से अवगत कराएं। चूंकि देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा देश की राजधानी दिल्ली में कारपोरेट अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों की संख्या ज्यादा है। दिल्ली सरकार के रिकार्ड में वर्तमान में 1707 नर्सिग होम्स, 808 ऐसे क्लनिक है जहां 50 बिस्तरों की सुविधा है। तो 35 कारपोरेट अस्पताल हैं।