ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली मौसम विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीअर), आठ राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेशों में धूल भरी आंधी, तूफान की आपातकालीन चेतावनी जारी की है। मौसम में अचानक होने वाले इस बदलाव और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक है कि लोग कुछ जरुरी सावधानियां बरतें। पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक डा. राज कुमार ने कहा कि सावधानियां ही बचाव का सशक्त तरीका हो सकता है। अस्थमा के मरीज बाहर जाने से उस वक्त बचे जब तेज हवाओं के साथ ही धूल भरी आंधी चल रही हो। बाहर कामकाज के लिए जाते वक्त अपने पास एक सूती रुमाल व अपनी जरूरी दवाएं मसलन यदि रूटीन में इस्तेमाल करते हैं तो हीनहेलर जरूर रखें। इंद्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल के पल्मोनोलोजिस्ट यूनिट के डा. राजेश चावला ने एडवाइजरी जारी करते हुए कुछ सुझाव दिए हैं। जिसमें मौसम में बदलाव के कारण होने वाली सांस की समस्याओं से बचा सकते हैं।
सुझाव:
धूल के कण, छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं। इनके कारण सांस की परेशानियां हो सकती हैं। ये कुछ लोगों में एलर्जिक अस्थमा का कारण बन सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति घर के बाहर है और अचानक धूल भरी आंधी के संपर्क में आता है, तो सबसे पहले उसे अपना मुंह, नाक, आंखें और कान एक मोटे कपड़े से ढक लेना चाहिए, ताकि धूल के कण शरीर के अंदर न जा सकें। इसके बाद जल्द से जल्द किसी सुरक्षित स्थान पर आ जाएं। घर पहुंच कर नहा लें और अपने गले को पानी से अच्छी तरह साफ कर लें।
-तेज तूफान के दौरान धूल के करण घर में भी घुस जाते हैं, जो बच्चों ओर बुजु़गरे के लिए घातक हो सकते हैं। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि घर के दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें।
-लेकिन अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी हो रही है, खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग या अस्थमा के मरीज तो उन्हें तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए। अगर आपको धूल के कारण गले और नाक में परेशानी हो रही है तो 10-20 मिनट के लिए भाप लें, इससे सन मार्ग खुल जाएगा। अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डीजीज) के मरीजों को अपनी दवा और इन्हेलर हमेशा अपने साथ रखना चाहिए, ताकि वे एमरजेन्सी होने पर इसका इस्तेमाल कर सकें।