65 वर्षीय ब्रेन डेड ने बिखेरी तीन लोगों के जीवन में खुशियां – एक मृत व्यक्ति के अंग छह से आठ लोगों को नया जीवन दे सकते हैं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , अंगदान करने में अब गति पकड़ रही है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सर्जन्स ने 65 वर्षीय एक ब्रेनडेड व्यक्ति से दान में मिले 8 लोगों को नई जिंदगी मिली। वाईके भल्ला के रिश्तेदारों की स्वीकृति के बाद सर्जन्स ने यह कार्य किया। बता दें कि एक मृत व्यक्ति के अंग छह से आठ लोगों को नया जीवन दे सकते हैं।
रीनल ट्रांसप्लांट यूनिट के डा. संदीप गुलेरिया के अनुसार 19 सितम्बर को श्री भल्ला का ब्रेनडेड घोषित किया गया उनके परिजनों ने स्वैच्छिक रूप से अंगदान के लिए यह कहते हुए स्वीकृति दी कि उनकी यही अन्तिम इच्छा थी। बाइलेटरल सेरेबल्र इन्फरेक्शन से पीड़ित मृतक श्री भल्ला के दोनों गुर्दे, यकृत (लीवर) दान किया। इसके तहत एक गुर्दा 41 वर्षीय एक महिला में जबकि दूसरा गुर्दा एक अन्य व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया गया। इसके अलावा यकृत नोएडा के एक अस्पताल में 48 वर्षीय एक अन्य व्यक्ति में किया गया। यह मरीज बीते चार साल से लीवर सोरायासिस से पीड़ित था।
क्या है वाइलेटरल:
अस्पताल में रिटार्यड मेजर जनरल डश. जखतार सिंह के कहा कि यह ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग को खून पहुंचाने वाली धमनियों/आर्टरीज के ब्लॉक हो जाने के कारण दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। प्रत्यारोपण प्रक्रिया में डा. पी एन रंजन, डा. विकास संगवान, डा. नीरव गोयल शामिल थे।
यह भी:
भारत में अंगदान की दर 0.26 प्रति मिलियन है, जबकि अमेरिका में यह दर 26, स्पेन में 35.3 और क्रोएशिया में 36.5 है (ऑर्गन इंडिया डॉट ओआरजी की रिपोर्ट के अनुसार)। साफ है कि हम मृतक अंगदान की दृष्टि से इन देशों से बहुत पीछे हैं और इसका मुख्य कारण यह है कि आज भी लोगों में अंगदान के बारे में जागरुकता की कमी है। हम डोनर के परिवार के प्रति आभारी हैं जिन्होंने दुख के पलों में भी ऐसा नेक फैसला लेकर तीन लोगों को नया जीवन दिया है। इस तरह के उदाहरण न केवल अंगदान के बारे में जागरुकता बढ़ाते हैं बल्कि अन्य लोगों को भी इस नेक काज के लिए प्रेरित करते हैं।

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