आईसीयू के अभाव में 4 माह की बच्ची ने तोड़ा दम -पूर्वी दिल्ली के चाचा नेहरु अस्पताल का मामला, 10 माह में तीसरे बच्चे की मौत दिल्ली सरकार बच्चो की मौत पर चुप

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ज्ञान प्रकाश,नई दिल्ली पूर्वी दिल्ली के चाचा नेहरु बाल अस्पताल में आईसीयू बिस्तरों की कमी के चलते मासूमों की मौत का सिलसिला जारी है। दो दिन पहले रविवार देर रात एक मासूम बच्चे ने आईसीयू में बिस्तर न मिलने के कारण बीमारी के चलते दम तोड़ दिया। इस तरह का मामला ये कोई नया नहीं है। इसी साल फरवरी और सिंतबर माह में भी चाचा नेहरु अस्पताल में आईसीयू बिस्तर की कमी के कारण समय पर बच्चों को इलाज न मिलने के कारण दो की मौत हुई थी। ये सिलसिला कई वर्ष से जारी है। वर्ष 2016 में भी आईसीयू बिस्तर कम होने और बच्चे की मौत के बाद यहां हंगामा, मारपीट और हड़ताल तक हुई। बावजूद इसके हालातों में अभी भी सुधार नहीं है।
सोनिया विहार निवासी रिक्शा चालक चमन सिंह का आरोप है कि उनकी चार माह की बच्ची काव्या को 19 नवंबर को चाचा नेहरु अस्पताल में भर्ती कराया था। उल्टी और बुखार के चलते उसे भर्ती किया था। बीते शनिवार वरिष्ठ डाक्टर ने जांच के बाद बच्ची की सेहत को सामान्य बताया और कहा कि छुट्टी कर देंगे। लेकिन रविवार को छुट्टी होने के कारण उनकी बेटी पर नर्स और जूनियर डाक्टरों ने ध्यान नहीं दिया। वे फोन चलाते रहे। दोपहर करीब एक बजे तबियत बिगड़ने पर नर्स ने अन्य डॉक्टरों को बुलाया तो डाक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उसे निमोनिया हो गया है। तत्काल आईसीयू बिस्तर चाहिए, उनके यहां नहीं है। इस पर पिता ने रेफर करने की बात कही तो डॉक्टरों ने नियमों का हवाला देकर इंकार कर दिया।
शनिवार रात को ही करीब साढ़े नौ बजे बिस्तर का प्रबंध होने के बाद डाक्टरों ने उसे आईसीयू में भर्ती कराया, लेकिन करीब तीन घंटे बाद काव्या ने दम तोड़ दिया। चमन सिंह का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही और समय पर बिस्तर न मिलने के कारण उनकी बच्ची की मौत हुई है। वहीं इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने भी कोई जवाब नहीं दिया है।

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