ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली। सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने एक शोध के जरिए दावा किया है कि दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ रहे करीब 30 फीसदी बच्चे मोटापा ग्रस्त हैं। इन बच्चों का एक बड़ा हिस्सा मधुमेह, उच्च रक्तचाप, नींद और व्यवहार संबंधी रोगों से प्रभावित हो सकता है। अध्ययन टीम के अनुसार मधुमेह के नए मरीजों में 10 फीसद मरीज 10 से 18 वर्ष आयुवर्ग के पाए गए हैं। इस रिपोर्ट के बाद बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। ये शोध वर्ष 2010 से अभी तक करीब 1078 बच्चों पर किया गया।
बृहस्पतिवार को अस्पताल में हुई एक कार्यशाला में इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, मेटाबोलिक एंड बेरिएट्रिक सर्जरी के विशेषज्ञों ने इस शोध को प्रस्तुत किया। बेरिएट्रिक सर्जरी यूनिट के चेयरमैन डा. सुधीर कलहन ने कहा, ‘हमने पाया कि 23 फीसद रोगी अपने बचपन या किशोरावस्था में मोटापे से ग्रस्त थे, और आगे जाकर वे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, नींद की बीमारियों और बांझपन जैसी चिकित्सा परिस्थितियों से ग्रस्त हो गए और इसके लिए मोटापे की सर्जरी की आवश्यकता थी। मोटे बच्चों को प्यारा माना जाता है, लेकिन यह बाद में स्वास्थ्य के खतरों का कारण बन सकता है। डा. विवेक बिंदल ने कहा पिछले 8 वष्रो में हमने 123 मरीज़ो का मोटापे का ऑपरेशन किया जो 15 – 21 साल की उम्र के बीच थे। 1 साल बाद उनके शरीर का वजन 81 फीसद घट गया। उनमें से कई भाई बहन थे जिनका मोटापा जीन के साथ-साथ भोजन की आदतों से संबंधित था । कार्यक्रम में मौजूद सांसद अनुराग ठाकुर, क्रिकेटर गौतम गंभीर, स्प्रिंगलेस स्कूल की प्राचार्या एएम वट्टल और सरदार पटेल विद्यालय की प्राचार्या अनुराधा जोशी मौजूद रहीं।
क्या है दिक्कतें:
अध्ययन में, निजी स्कूलों के 30 फीसद स्कूल जाने वाले बच्चे मोटापे से ग्रस्त थे। इनमें से अधिकतर बच्चे हाई ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर से ग्रस्त पाए गए थे। मधुमेह के नए मरीजों में 10 फीसद मरीज 10 – 18 साल के आयु वर्ग में थे।