युवा तेजी से गिरफ्त में आ रहे हैं ऑस्टियोपोरोसिस की गिरफ्त में! – कमजोर हड्डियों के कारण बार-बार होता है फ्रेक्चर

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , शहर हो या गांव, हड्डी और जोड़ों की बिमारियों की समस्या हर जगह आम हो गई है। बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या खुद ब खुद विकसित होने लगती है। 50 से अधिक उम्र के लगभग 49.2 फीसद लोग हड्डी की बीमारियों, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोपेनिया, पुराना ऑस्टियोआर्थराइटिस आदि से पीड़ित हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के हालिया अध्ययन चौकाने वाले हैं। पांच महानगरों में 5678 लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि 15 से 29 साल की आयु के किशोरों और युवाओं में 35 फीसद तक ऑस्टियो यानी हड्डियों में विटामिन्स की कमी, कमजोरी संबंधी समस्या मिली। दिल्ली में 19 फीसद युवाओं की हड्डियां कमजोर है तो यह स्थिति मुंबई में 16, चेन्नई में 12 जबकि कोलकाता में 10 फीसद पाई गई। बता दें कि हर वर्ष 20 अक्टूबर को वि आस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है।
क्या है स्थिति:
एम्स जेपीएन ट्रामा सेंटर के निदेशक डा. राजेश मल्होत्रा के अनुसार दुनिया भर में, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हर साल 89 लाख से अधिक फ्रैक्चर होते हैं। इस तरह हर तीन सेकेंड में एक ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर होता है। अनुमान के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस दुनिया भर में 20 करोड़ महिलाओं को प्रभावित करता है, जिनमें लगभग 10 में से एक महिला की उम्र 60 साल, पांच में से एक महिला की उम्र 70 साल, पांच में से दो महिला की उम्र 80 साल और दो तिहाई महिलाएं 90 साल की होती हैं।
नजरंदाज न करें:
सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के प्रमुख डा. अनुज मल्होत्रा के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि इस रोग से पीड़ित मरीज आसानी से गिर जाते हैं। ऐसी घटनाओं में, कुल्हे व जोड़ों की हड्डियों के टूटने की संभावना अधिक होती है। लोग अक्सर इन समस्याओं को बढ़ती उम्र का हिस्सा समझकर अनदेखा कर देते हैं, जिसके कारण समय के साथ वे पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं। समस्या यह है कि प्रभावित लोगों को भी रोग के जोखिम कारकों के साथ-साथ रोग के कई खतरों के बारे में पता नहीं होता है। इसलिए इसके बारे में लोगों के बीच जागरु कता बढ़ाना जरूरी है।
इलाज है संभव:
लुपस ,सलेकोलोरोडोमा, एंकीलोसिंग या स्पॉन्डिलाइटिस जैसी विभिन्न बीमारियां जो की अर्थराइटिस से ही संबंधित है इनको लेकर विशेष जागरूकता की आवश्यकता है। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत के रूमैटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष एवं निदेशक डा. पीडी रथ के अनुसार एक आम धारणा यह है कि अर्थराइटिस जीवन के लिए खतरनाक नहीं है जबकि इसके चलते फेफ ड़ें, किडनी, आंखे यहां तक कि कभी कभी दिमाग भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। लोग सोचते हैं कि यह एक लाइलाज बीमारी है जबकि यदि सही समय पर सही इलाज किया जाए तो इसका इलाज संभव है। इसके बावजूद यदि जोड़ पूरी तरह से भी क्षतिग्रस्त हो जाए तो विशेषज्ञ उनका ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।
यह भी:
पांच लाख ऑस्टियोपोरोटिक मरीजों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि इनमें से दो लाख लोग कूल्हे की हड्डी फ्रैक्चर होने से पीड़ित हैं और तीन लाख मरीज कलाई की हड्डी फ्रैक्चर होने से पीड़ित हैं।
वजह:
अन्य कारणों में खान-पान, बदलती लाइफस्टाइल, व्यायाम की कमी, शराब का अत्याधिक सेवन, शरीर में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी आदि शामिल हैं। ऑस्टियोपोरोसिस कई बार अनुवांशिक भी होता है। इसका यह अर्थ है कि जिनके माता-पिता को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है उनकी संतानों को भी इसका खतरा रहता है।

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