14 वर्षीय दीपांशु के जीवन के लिए आरएमएल हास्पिटल के डाक्टर बने यमराज! -55 दिनों में एक के बाद तीन सर्जरी कर डाली, फिर भी रक्तस्रव जारी -सर्जरी यूनिट 6 के डाक्टरों कर कथित लापरवाही का परिजनों ने लगाया आरोप

0
875

ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल यूनिट 6 के शल्य चिकित्सकों की इलाज में कथित लापरवाही से 14 वर्षीय 9वीं कक्षा में पड़ने वाले दीपांशु जिंदगी से जूझ रहा है। इसे इस मरीज के प्रति डाक्टरों की संवेदनहीनता कहें या फिर उपचार में कथित लापरवाही 55 दिनों में एक के बाद एक पेट की तीन सर्जरियां कर दी फिर भी पेट और आंतों में हुए जख्म को सामान्य करने में असफल रहे। मरीज सघन चिकित्सा कक्ष में जिंदगी से जूझ रहा है। उसके आंतों से निरंतर रक्तस्रव जारी है, जो डाक्टरों को रोकने के लिए चुनौती पूर्ण है ।
ऐसे ही लापरवाही की शुरुआत:
दरअसल, साइकिल चलाते हुए बीते 9 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र के एक दिन पहले गिरने से फेफड़े के निचले और पेट के उपरी भाग में चोट लग गई। उसे तुरंत अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया जहां पर डाक्टरों नहीं ईसीजी, रक्त, मूत्र के साथ ही अल्ट्रासाउंड किया। जांच रिपोर्ट देखने के बाद ड्यूटी पर तैनात जूनियर रेजिडेंट् ने यह कहते हुए की हल्की चोट है आंतों में इसका असर नहीं आया है, जो तेज लाल दाग है वह एक दो दिन में सामान्य हो जाएगा। दर्द निवारक गोलिया खाते रहना। लेकिन असहनीय दर्द से उसकी रात गुजारनी मुश्किल हो गई, अत: उसे पुन: दूसरे दिन अस्पताल लाया गया, नये सिरे से यूनिट 6 के डाक्टरों ने अल्ट्रासाउंड दो चरणों में कराया, जांच में डाक्टर ने बताया कि साइकिल से गिरने के दौरान लोहे का हिंसा उसके पेट और फेफड़े के निचले हिस्से का अंदरूनी हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। इसकी तुरंत सर्जरी की जाएगी। साथ ही दीपांशु के पिता खेमचंद को जमकर फटकार भी लगाई की अपनी मर्जी से तो तुम मरीज को नहीं ले गए, उसकी मां अनीता देवी ने बारंबार बताया कि नहीं साहब डाक्टर साहब ने ही तो घर पर ही आराम करने की नसीहत दी थी इसके बाद ही हम उसे घर ले गए। अब दोबारा लाएं है। सूत्रों ने बताया कि इस घटना के बाद यूनिट 6 के सीनियर डाक्टर ने जूनियर डाक्टर की यह कहते हुए जमकर खिंचाई की कि भलीभांति तरीके से अल्ट्रासाउंड को देखते तो उसकी यह हालत नहीं होती। घटना के चौबीस घंटे बात चोटिल हिस्सा सुन्न पड़ने के साथ ही गांठ बन गई है। 11 अक्टबूर को पहली सर्जरी की गई। इस दौरान डाक्टरों ने दावा किया कि सर्जरी सफल रही है। आंतों को सामान्य होने में कुछ वक्त लगेगा। इसलिए कृत्रिम फूड पाइप तरल पदार्थ लेने के लिए और दूसरी पाइप शरीर के अवयव का निकलने के लिए डाल दी। साथ ही पेशाब मार्ग पर भी एक अन्य पाइप डाल दी। फिर दस दिन के बाद पुन: बुलाया। डाक्टरों ने अल्ट्रासाउंड और सिटी स्कैन किया, इस दौरान हल्का दर्द हो रहा था। डाक्टरों ने यह कहते हुए दर्द को नजरंदाज कर दिया कि सर्जरी हुई है तो थोड़ा दर्द तो होगा ही, पेट भी सूजा हुआ था। पनु: सिटी स्कैन किया और बताया कि आंतों में स्रव (लीकेज) हो रही है, माईनर आपरेशन किया जाएगा। दूसरा आपरेशन 21 अक्टूबर किया गया। फिर सर्जरी सखल होने का दाया किया। हिदायत दी की तबियत खराब होने पर दोबारा लाना। लेकिन पेट में सूजन और दर्द कम नहीं हुआ। उसे दोबारा 30 नवम्बर को भर्ती कराया गया और 2 दिसम्बर को तीसरी सर्जरी की गई। डाक्टर ने समझाया कि माइनर सर्जरी की जाएगी दरअसल, जो पहले दो सर्जरियां की गई थी टांके से लीकेज बंद नहीं हो रही है। उसे बंद करने के लिए ऐसा किया जाएगा। साथ यह भी भरोसा लिया कि इस बार सर्जरी के बाद उसके शरीर में डाली फूड पाइप, यूरीनरी ट्रैक सभी को बाहर निकाल देंगे। वह घर पर जब जाएगा तो मुंह से सामान्य रूप से खाना खाएगा और रूटीन में सामान्य रूप से करेगा। सोमवार को आज दोपहर डाक्टरों ने बताया कि उसकी सर्जरी के बाद भी लीकेज नहीं रुक रही है। आनंद पर्वत स्थित 52/62 एच1 गली नंबर 18 में रहने खेमचंद का रो रो कर बुरा हाल है।
डाक्टर ने दी सफाई:
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. वीके तिवारी ने कहा कि मामले की जांच करेंगे। स्थिति का आकलन करने के बाद यदि कमी पाए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में यूनिट 6 के प्रमुख डा. रोमेश लाल ने दावा कि उन्होंने पुरी ईमानदारी से सर्जरी प्रक्रिया संपन्न की है। मरीज उनकी यूनिट में घटना के बाद काफी देरी से लाया गया। जितना बेहतर किया जा सकता था हमने नैदानिक और सर्जरी संपन्न की। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है लेकिन खतरे से बाहर है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here