खालिस्तान बनेगा या ईसाईस्तान? पंजाब में। – ठाकुर दलीप सिंह जी

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वर्तमान परिस्थितियों में खालिस्तान संबंधी अपने विचार व्यक्त करते हुए नामधारी ठाकुर दलीप सिंह जी ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो जी के बयान के कारण खालिस्तान का मुद्दा इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है। पंजाब में खालिस्तान बनाने की मांग करने वाले खालसा जी! पंजाब तो ईसाईस्तान बनता जा रहा है। यदि सिखी प्रचार को बढ़ाकर, ईसाईअत को रोका नहीं गया; तो 2047 तक वर्तमान पंजाब पूर्ण रूप से ‘ईसाई’ बन जाएगा। इस समय पंजाब में हजारों की गिनती में गिर्जा (चर्च) बन चुके हैं। ईसाइयों की अधिक गिनती होने के कारण, उन्होंने पंजाब में अपना एक राजनीतिक दल ‘यूनाइटेड पंजाब पार्टी’ भी बना लिया है। पाकिस्तान की सीमा से लगे गुरदासपुर जैसे कई जिले तो पूर्ण रूप से ईसाई बन चले हैं। क्या फिर आप, ईसाई बहु-गिनती वाले क्षेत्र को ‘खालिस्तान’ कहेंगे? पंजाब में ईसाइयों के बड़े समागम में जितनी गिनती होती है, खालसा जी के पाँच बड़े समागमों को मिलाकर भी उतनी बड़ी गिनती कभी नहीं होती।
आज, पंजाब का बहुत बड़ा भाग ईसाई हो चुका है और पंजाब में ईसाईयत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। खालसा जी के मुख्य अस्थान श्री अकाल तख्त साहिब, हरिमंदिर साहिब तथा शिरोमणि कमेटी के मुख्य अस्थान वाले पवित्र शहर: श्री अमृतसर साहिब में भी इसाइयत छा चुकी है तथा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यदि इसी तीव्र गति से खालसे, ईसाई बनते रहे; तो कुछ समय तक, पंजाब में खालसा तो गोता लगाकर ढूँढने पर भी नहीं मिलेंगे। ईसाई बनने वाले सभी लोग: कभी खालसे थे; जो अब ईसाई बन चुके हैं। क्योंकि, हम खालसा ने, उन ईसाई बनने वाले अपने लोगों को संभाला नहीं और न ही खालसा पंथ का प्रचार किया। जितनी शक्ति व पैसा: हम खालसा ने, खालिस्तान बनाने के आंदोलन में निवेश किया है; यदि कहीं उतनी शक्ति व पैसा, ‘खालसे’ के प्रचार-प्रसार में लगाया गया होता; तो वह लोग ईसाई बनते ही न। या, ईसाई बन चुके लोग भी, आज तक वापिस ‘खालसे’ बन चुके होते। खालिस्तान की मांग को लेकर, जो 25000 के करीब कीमती जीवन गए, वह भी न जाते।
ठाकुर दलीप सिंह जी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि खालसा पंथ के आगू, खालिस्तान के बड़े आगू और खालसा पंथ की सभी बड़ी संस्थाएं: कभी भी ईसाइयों का विरोध नहीं करते। परन्तु, जिस भारत देश में, सिख गुरु साहिबान तथा खालसा पंथ प्रगट हुए; उस भारत देश का विरोध अवश्य करते हैं। यहाँ तक कि, जिन हिन्दू परिवारों में हमारे गुरु जी प्रगट हुए तथा जिन हिन्दुओं में से खालसा पंथ बना; उन हिंदुओं का सदैव विरोध ही करते हैं। खालिस्तान की लहर चलाकर, भारत सरकार से टक्कर लेने की बात तो अवश्य करते हैं; परंतु, पाकिस्तान से टक्कर लेकर, उनसे ननकाना साहिब आदि क्षेत्र लेने की बात नहीं करते। यही खालसे वीर, ईसाइयत को रोकने और सिख पंथ का प्रचार बढ़ाने के लिए भी कुछ नहीं करते हैं। यदि खालसे ने अपना प्रचार बढ़िया ढंग से किया होता; तो पंजाब में ईसाईयत प्रवेश कर ही नहीं सकती थी।
पंजाब के लोगों को पुनः खालसा बनाने के लिए सुझाव देते हुए ठाकुर जी ने कहा “खालसा जी! खालिस्तान बनाने से पहले, पंजाब को ईसाईस्तान बनने से रोकिए। पंजाब के सभी लोगों को पहले ‘खालसे’ बनाओ। खालसे का इसाइयत में धर्म परिवर्तन रोकने के लिए, ईसाइयों का विरोध करने की बजाय; सिखी का प्रचार पूरी तीव्रता से, ईसाइयों की तरह बढ़िया ढंग अपनाकर ही होना चाहिए। क्योंकि, विरोध करने से हिंसा तथा घृणा फैलती है। पंथ घृणा से नहीं; प्रेम, प्रचार तथा सेवा से बढ़ेगा। प्रचार तथा प्रेम से ही, लोगों को पुनः खालसा बनाया जा सकता है”।
ठाकुर जी ने यह भी कहा कि भारत से, खालिस्तान के लिए जमीन का एक टुकड़ा निकालने से पहले खालिस्तानी वीरों को; खालिस्तान बनाने के लिए पाकिस्तान में से ननकाना साहिब, पंजा साहिब आदि क्षेत्र भी ले लेने चाहिए। ताकि, खालसे के सभी मुख्य गुरुद्वारे खालिस्तान में आ सकें।

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