ज्ञानप्रकाश /भारत चौहान नई दिल्ली , देश की राजधानी दिल्ली में जनसंख्या का दबाव बढ़ने के साथ ही देश की आबादी भी तेजी से बढ़ रही है। वि जनसंख्या दिवस पर रविवार को परिवार कल्याण नियोजन की सक्रियता और जागरुकता, परिवार नियोजन के प्रति युवाओं की उदासीनता को दूर करने में स्वास्थ्य विभाग बेदम साबित हो रहा है। पौने दो करोड की आबादी वाले दिल्ली शहर में जनसंख्या नियंतण्रके लिए प्रयास तेज करने की जरूरत है।
गुणवत्ताहीन नियोजन संसाधन:
दिल्ली सरकार के 467 स्त्री एवं प्रसूति केंद्रों, टीकाकरण केंद्रों में परिवार नियोजन सामग्री वैसे तो उपलब्ध नहीं होती है जहां रहती भी है तो उसकी गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। इनका इस्तेमाल करने वाले कहते हैं कि हम चाहते हुए भी सरकारी संसाधनों का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसमें सुधार की जरूरत है। दिल्ली सरकार की स्वायत्त संस्था द्वारा कराए गए सव्रे में यह बात सामने आई है। इनमें 83 सरकारी अस्पतालों और 234 प्रसुति केंद्रों में आने वाले 4567 लोगों की राय ली गई। इनमें से 56 फीसद ने कहा कि सरकारी कंडोम, माला डी, कॉपरिटी समेत अन्य इस्तेमाल किए जाने वाले संसाधन की गुणवत्ता खराब है। 44 फीसद ने कहा कि वे सिर्फ बाजार मे नामचीन फार्मास्यूटिक कंपनियों द्वारा निर्मित उत्पादों को प्रयोग करते हैं।
गुणवत्ता सुधार के लिए समीक्षा:
स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि प्राप्त आंकड़ों के आधार पर हम बदलाव करने जा रहे हैं। इसके लिए विभिन्न परिवार कल्याण केंद्रों में परिवार नियोजन में चाहे वह महिलाओं के लिए हो या फिर पुरुष के इस्तेमाल के लिए। सभी की गुणवत्ता को अपग्रेड करेंगे। इसके लिए सभी 9 सीडीएमओ को निगरानी टीम का प्रमुख बनाया गया है। जो औचक डिस्पेंसरियों, परिवार नियोजन केंद्रों में वितरित होने वाले संसाधनों की गुणवता की जांच करेंगे।
सख्त कानून की है दरकार:
एम्स के परिवार नियोजन यूनिट के प्रो. डा. वाईके सिंह ने कहा कि चीन जैसी पॉलिसी भारत में बनाना संभव नहीं क्योंकि उनका और हमारा सामाजिक ताना-बाना अलग-अलग है। डा. सिंह के मुताबिक, बढ़ती पॉपुलेशन के हिसाब से सरकार को अभी से योजनाएं बनाना होंगी। लोगों को स्किल्ड बनाना होगा। बुजुगरे की संख्या बढ़ेगी, ऐसे में उनकी केयर का इंतजाम भी करना होगा। पहले लोग संयुक्ति परिवार में रहते थे तो मां-बाप की केयर हो जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है।
यह भी:
दिन में हर सेकेंड में 4 बच्चे जन्म लेते हैं और 2 लोग मर जाते हैं यानी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि दुनिया में 2050 तक 70 फीसदी पॉपुलेशन शहरों में रहेगी।