ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली इसे दिल्ली सरकार की सरकरी एजेंसियों को लक्ष्य को पूरा कराने के प्रति संवेदनहीनता कहें या फिर निर्माण कार्य में जुटी एजेंसियों की लक्ष्य के तहत परियोजना को पूरा करने में सुस्ती। इन दोनों की ढिलाई के चलते द्वारका सैक्टर 9 में निर्माणाधीन 750 बिस्तरों की क्षमता वाले इंदिरा गांधी सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल का निर्माण कार्य लक्ष्य पर नहीं बन सका है। नतीजतन इसकी अनुमानित तय लागत से अब 20 फीसद अतिरिक्त खर्च होगा। करीब 15 एकड़ में बन रहे करीब 941 करोड़ की लागत से इस अस्पताल के निर्माण की शुरुआत 2014 में की गई थी। उस वक्त दिसम्बर 2017 में इसके निर्माण कार्य पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन लक्ष्य के अनुरूप कार्य नहीं होने पर निर्माण करने वाली एजेंसी ने सरकार से मई 2018 की अवधि का वक्त मांगा था। इसकी हाल ही स्वास्थ्य विभाग ने समीक्षा की जिसमें पाया गया है कि अब भी कार्य पूरा नहीं हो सका है। जिसके तहत किए गए आकलन में पाया गया है कि सिफ 64 फीसद ही काम पूरा हो सका है। जिसे पूरा हुए अब सात माह बीत चुके हैं।
खास बातें:
इस अस्पताल के शुरू हो जाने से द्वारका इलाके में रहने वाले लगभग 6 लाख लोगों को फायदा होगा। फिलहाल इस इलाके के लोगों को निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां रहने वाले लोगों को सरकारी अस्पताल में जाने के लिए लगभग 8 किलोमीटर दूर जनकपुरी जाना पड़ता है। इस सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध होगी। अस्पताल में तीन इमारतें होंगी। इनमें इमरजेंसी, ओपीडी और आईपीडी शामिल होंगे। इसके अलावा आने वाले समय में मेडिकल कॉलेज के रूप में भी विकसित किया जाएगा। एक हिस्सा इसके लिए खाली छोड़ा जाएगा। अस्पताल में दो ऑपरेशन थियेटर होंगे। इनमें एक ऑपरेशन थियेटर को मातृ-शिशु वार्ड के लिए रखा जाएगा। 750 बेड के इस अस्पताल के निर्माण के लिए 1996 में जमीन खरीदी गई थी। साल 2007 में दिल्ली सरकार ने इसे अनुमति दी और 2014 में इसका निर्माण शुरू हुआ।
अस्पताल बनने से:
स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि 90 फीसद काम पूरा कर लिया गया है। तकनीकी दिक्कतों की वजह से निर्माण कार्य में कई बार व्यवधान पड़ा। बाकी कार्य अगले कुछ माह में पुरा करने की उम्मीद है। अस्पताल बनने से द्वारका और पूरी पश्चिमी दिल्ली के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। यह अस्पताल रेफरल के तौर पर काम करेगा यानी जटिल मामलों को यहां रेफर किया जा सकेगा। अस्पताल में 24 घंटे आपात सेवा, वातानुकूलित स्पेशल वार्ड, सामान्य वार्ड, सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं, जच्चा-बच्चा वार्ड और टीचिंग विभाग होगा। अस्पताल हरित भवन अवधारणा से विकसित होगा। हर साल 150 विद्यार्थियों को टीचिंग सेक्शन में दाखिला मिलेगा। भूतल के साथ एक बेसमेंट और नौ मंजिला इमारत होगी।