जो पहले डाक्टरों से करते थे बदसलुकी आज मौत का खौफ देख अब गिड़गिड़ाने लगे है तब्लीगी जमाती मरीज

जमातियों का छलकने लगा है जीवन का दर्द -हम जिंदा रहना चाहते हैं साहब, थूकने, पेशाब करने, शौच करने जैसी घटनाओं से है हम शर्मिदा

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , राजधानी में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब तक दर्ज कुल 898 पोजिटिव मामलों में से 60 फीसद मामले तो निजामुद्दीन के मरकज मस्जिद में आयोजित समारोह में शिरकत करने आए तब्लीगी जमात के लोग पाए गए हैं। यही लोग क्वारंटाइन पर डाक्टरों, नर्सिग स्टाफ से अभद्रता कर रहे थे बल्कि कथित रूप से उनपर थूकने, बोतल में पेशाब कर वार्ड में फेंकने जैसी अप्रिय घटनाएं आ रही थी। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि लेकिन जब लोकनायक अस्पताल में तबलीगी जमात से जुड़े 32 से अदिक लोगों को आइसोलेशन वॉर्ड में भर्ती कराया गया था। शुरु आत में इस बात की शिकायत मिली की ये लोग इलाज में न तो डॉक्टरों का सहयोग कर रहे हैं। बल्कि इन्होंने हेल्थ स्टाफ के साथ बदसलूकी भी की। कथित रूप से जमातियों ने डॉक्टरों पर थूका भी था।

इन लोगों की स्थिति बिगड़ने लगी तो कोरोना से संक्रमितों में से कुछ लोगों का दिल पसीजने लगा है और उन्हें अपने जीवन का भय सताने लगा है। शुक्रवार को मेडिकल स्टाफ के सामने बिलख-बिलखकर रोने लगे। इन लोगों ने हेल्थ वर्कर्स के सामने गिड़िगड़ाकर जान बचाने का आग्रह किया। ऐसा ही वाकया डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल, एम्स जेपीएन एपेक्स सेंटर में देखने को मिला। स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार जिन लोगों को पृथक केंद्रों में रखा गया है वे अब भी हालांकि बदसलुकी कर रहे हैं। लेकिन जिनकी हालत देखते देखते नाजुक होने लगी है उनमें यह बदलाव देखा जा रहा है। दरअसल, जमाती यह देख रहे हैं कि अपनी जान हथेली पर अति संक्रमित क्षेत्र में उनकी जान बचाने के लिए डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ किस तरह से जुटा हुआ है।
हृदय परिवर्तन ऐसे:
आईसोलेशन वार्ड के एक डाक्टर ने कहा कि पहले इन लोगों को इस बीमारी पर विास नहीं था। अब बीमारी समझ में आई। डॉक्टरों की सेवा समझ में आई। पैरामेडिकल स्टाफ का कार्य समझ आया। लोक नायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. जेसी पासी कहते हैं कि अब अस्पताल में भर्ती संक्रमित जमातियों अपनी भूल का एहसास हो गया है। संक्रमण फैलाने के लिए वह तरह-तरह के तरीके अपना रहे थे जबकि वि में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। उनके बर्ताव में अब बदलाव आया है। जमाती अब यह स्वीकार कर रहे हैं कि वे दवाइयां खाएंगे क्योंकि यह उनके भले के लिए ही है।

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