दिल वालों की दिल्ली में : गरीबों को प्रोटीनयुक्त भरपेट खाना बेमानी, कुपोषण से मृत्युदर में बढ़ोतरी -दंश कुपोषण का, पांच साल में 322 बच्चों की जीवनलीला खत्म -वर्ष 2016 में हुई 66 मौत, वर्ष 2017 में 68 का है अनुमान -स्वास्थ्य एजेंसियां बेदम, सरकारी दावें भी बेमानी

0
715

ज्ञानप्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली, देश की राजधानी में कुपोषण ने पांच साल में 322 बच्चों की जान ले ली। हालांकि दिल्ली सरकार द्वारा आरटीआई के तहत चार साल के दौरान उपलब्ध करवाई गई जानकारी के अनुसार यह संख्या 244 है। वर्ष 2013 से वर्ष 2016 तक 244 बच्चों की मौत हुई। इसमें सबसे ज्यादा 70 मौते 2014 में हुई जबकि 2016 में 66 मौतें हुई।
दिल्ली सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय व मुख्य रजिस्टर दिल्ली कार्यालय के उपनिदेशक सीके दत्ता द्वारा उपलब्ध करवाई गई। निदेशालय से पांच साल का आंकड़ा देने की प्रार्थना की गई थी लेकिन कार्यालय ने सिर्फ बीते चार साल के ही अधिकारिक आंकड़े दिए। रिपोर्ट के अनुसार चार सालों में दिल्ली में 244 मौते कुपोषण से हुई है। इसमें वर्ष 2013 में 64, वर्ष 2014 में 70, वर्ष 2015 में 44 और वर्ष 2016 में 66 मौते हुई हैं। जबकि वर्ष 2017 के आंकड़े का अधिकारिक खुलासा नहीं किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जरूर स्वीकार किया कि इस वर्ष के दौरान दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार के विभिन्न अस्पतालों की मोरचरी से मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। कुपोषण से मरने वालों की अनुमानित संख्या 68 तक हो सकती है।
स्थिति:
राजधानी में प्रति व्यक्ति आय तीन लाख से ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में दिल्ली देश में दूसरे स्थान पर है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर इस बड़ी उपलब्धि के बीच एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि कई परिवारों को भरपेट भोजन या कहें कि भरपूर पोषण नसीब नहीं है। इस वजह से हर साल कुपोषण से कई लोग दम तोड़ देते हैं।
मौत की वजह में से एक यह भी:
रिपोर्ट के अनुसार, एक खास तरह की कुपोषण की बीमारी क्वाशियोरकोर से 38 लोगों की मौत हुई। यह बीमारी खानपान में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होने के कारण होती है, जबकि शरीर में कैलोरी की मात्रा ठीक होती है। इसके अलावा मरैज्मस (सुखंडी) नामक बीमारी से 54 लोगों की मौत हुई।
जरूरी है पौष्टिक आहार, बच्चे ज्यादा जोखिम:
एम्स में पोषण आहार विज्ञान विभाग के प्रमुख डा. उमेश कपिला के अनुसार भरपूर आहार नहीं मिलने पर किसी भी उम्र के लोग पीड़ित हो सकते हैं पर बच्चे इससे अधिक पीड़ित होते हैं। खानपान में प्रोटीन के साथ-साथ कैलोरी व अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर सूखने लगता है और वजन सामान्य से 62 फीसद तक कम हो जाता है।
एजेंसियां का रुख असंतोषजनक:
कुपोषण दूर करने के लिए सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पूरक पोषाहार, स्कूलों में मिड-डे मिल व जरूरतमंदों को सस्ते दर पर राशन उपलब्ध कराती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here