निजी आईवीएफ सेंटर्स की बेचैनी बढ़ी, किराए की कोख के व्यावसायीकरण पर लगेगी रोक! -विधेयक लेगा कानून का रूप, स्वास्थ्य एजेंसियां है एलर्ट -स्वास्थ्य विभाग ने परिवार कल्याण केंद्रों पर निगरानी के लिए सीएडीएमओं की बुलाई बैठक

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, किराये की कोख (सरोगेसी) के व्यावसायीकरण पर रोक लगाने संबंधी विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद खास कर निजी आईवीएफ सेंटर एवं स्त्री एवीं प्रूसूति रोग विशेषज्ञों के होश उड़ गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर सरोगेसी के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2016 को लोकसभा ने दो दिने पहले ही ध्वनिमत से पारित कर दिया। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा का मानना है कि इससे समाज के सभी वगरे ने किराये की कोख के व्यावसायीकरण पर रोक लगाने की मांग की थी। विधेयक में कुछ मामलों में किराये की कोख के सहारे संतान प्राप्ति की अनुमति दी गई है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि परिवार कल्याण ऐसे केंद्रों पर हम नजर रखेंगे जहां पर आईवीएफ की सुविधा है। इनकी यहां पंजीकृत किए गए दम्पत्तियों का साप्ताहकि ब्यौरा क्षेत्रीय एसडीएम और सीडीएमओ में सूचना देनी होगी। उनकी एक बैठक भी ली गई है।
क्या था कन्फ्यूजन:
दरअसल विधेयक में परिवार के सदस्यों को कोख किराये पर लेने की छूट दी गई है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि परिवार में किन-किन लोगों को माना जाएगा। स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदान ने कहा कि एक बार कानून बनने के बाद इसके लागू करने के लिए नियमों और दिशा-निर्देशों को बनाते समय इसे साफ किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अभी धारा 377 के अंतर्गत शादी की इजाजत नहीं दी है। इसीलिए समलैंगिक जोड़ों को परिवार नहीं माना जा सकता है।
विशेषज्ञों की नजर में:
आधुनिक समाज की मांग और भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए किराये की कोख के कारोबार को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है। सरोगेसी के दुरु पयोग पर दंड का प्रावधान भी किया गया है।
इन पर होगा प्रतिबंध:
विधेयक में विदेशी जोड़ों के लिए भारतीय महिलाओं की कोख किराये पर लेने को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसी तरह ऐसे जोड़े जिन्हें पहले से संतान है, वे सरोगेसी का रास्ता नहीं अपना सकेंगे। किसी एकल महिला या पुरु ष, समलैंगिक जोड़े और लिव-इन में रह रहे जोड़े को सरोगेसी से संतान प्राप्ति की अनुमति नहीं होगी।
इन्हें होगी अनुमति:
शादीशुदा जोड़े जिनकी शादी को पांच साल से अधिक हो चुका हो, उन्हें सरोगेसी से संतान प्राप्ति की अनुमति होगी। हालांकि इसके लिए उनके पास चिकित्सक का प्रमाण-पत्र होना चाहिए कि वे संतान उत्पत्ति में सक्षम नहीं है। साथ ही जोड़े में पुरु ष की उम्र 26 से 55 साल और महिला की उम्र 23 से 50 साल के बीच होनी चाहिए।
सरोगेट मदर बनने की शर्त:
सरोगेसी के तहत नजदीकी रिश्ते वाली ऐसी महिला को ही चुना जा सकता है जो शादीशुदा हो और कम से कम एक स्वस्थ बच्चे की मां हो। इसके अलावा कोई महिला जीवन में केवल एक बार ही अपनी कोख से किसी अन्य जोड़े के लिए बच्चे को जन्म दे सकती है।
सरोगेसी से जुड़े बड़े नाम:
भारत में किराये की कोख का बड़ा कारोबार है। कई बड़ी हस्तियों ने भी सरोगेसी से संतान प्राप्ति की है। इनमें फिल्म निर्माता करण जौहर, अभिनेता शाहरूख खान, आमिर खान और तुषार कपूर के नाम शामिल हैं।

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