ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, अखिल भारतीय संत समाज के तत्वावधान में रामलीला मैदान, अजमेरी गेट में आयोजित तीन दिवसीय महान सत्संग समारोह के तीसरे और अन्तिम सत्र के दौरान स्वामी आनन्दातानन्द ने भक्त ध्रूव के जीवन चरित्र को समझाते हुए कहा कि भक्तों में सबसे कम उम्र में भक्तिकरके ध्रूव ने जो भक्ति का मिशाल प्रस्तुत किया वो अतुलनीय है। यह इतिहास के पन्नों में सदैव के लिए अमर हो गया। जिन भक्तों ने भगवान की भक्ति की और सत्य मार्ग पर चले, उनका नाम अमर हो गया। आज हम उन्हीं भक्तों की पूजा करते है। सत्संग है मानसरोवर सुखों की खान बन्दे, सत्संग से ही मिलते है सचमुच भगवान बन्दे। जो कण-कण में विधमान परमात्मा है, जो दीनबन्धु भगवान है उसी के आधार पर हमारी नैया पार हो सकती है।
बैजनाथ धाम के स्वामी रामधनियानन्द ने कपिल भगवान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अपनी माता को भक्ति के बारे में समझाते हुए कहते है कि अध्यात्म-ज्ञान से जीव का कल्याण होता है। यह सुनकर माता देवहूती ने कपिल भगवान से उस आत्म-ज्ञान जानने की इच्छा व्यक्त की, तब कपिल भगवान ने अपनी मां को आत्म-ज्ञान को जनाकर भगवान का दर्शन उनके जीवन में कराया। तब भगवान का भजन करके अपना जीवन कितार्थ किया। स्वामी ध्वजानंद, स्वामी अमरबेलानंद ने भगवान की छवि पर पुष्प माला पहनाकर आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। साथ ही भारत के विभिन्न तीर्थ स्थानों से आए स्वामी हरिध्यानानन्द, स्वामी श्रोतानन्द, साध्वी सविता बाई, साध्वी संध्या बाई, साध्वी रोशनी बाई, साध्वी मणिका बाई, साध्वी व्योमा बाई, साध्वी वैशाली बाई व अनेकानेक संत उपस्थित रहे। बाल कलाकारों के भी अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। साथ ही भजन गायक कलाकारों ने विना चैन ना आये राम, मेरा दिल तो दिवाना हो गया, मुरली वाले तेरा, राम-नाम के हीरे-मोती, संत विखेरे गली-गली, झूठी दुनिया से घबरा रहा हूं, तेरे चरणों में मै आ रहा हूं, कैसा जादू डाला रे, अरे सांवरे जैसे सुमधुर भजनों द्वारा सबको भाव विभोर कर दिया।
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