मलेरिया के डंक को बेअसर करेगी, आरटीएस वैक्सीन अब सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में

फीमेल एनोफिलीज मॉस्किटो के कहर से बचने के लिए रोकथाम, निदान पर जोर -चौबीस घंटे में 39 मलेरिया संभावितों के लिए गए रक्त के नमूने

0
682

ज्ञानप्रकाश /भारत चौहान नई दिल्ली , नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के वैज्ञानिकों के अनुसार आरटीएस ही एक ऐसी वैक्सीन है जो मलेरिया के लिए कारगर है। यह वैक्सीन मलेरिया के आने वाले मामलों को नियंत्रित करने में सक्षम होने के साथ ही अति असरदार है। जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सी मलेरिया केंद्रों के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध कराने की रणनीति तैयार की है। राजधानी में इस साल अब तक 270 से अधिक मामले सामने आए हैं, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी मलेरिया घातक साबित हो रहा है।
एनसीडीसी के निदेशक डा. सुजीत कुमार सिंह के अनुसार दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार समेत 467 पोली क्लीनिकों में मलेरिया वैक्सीन मुहैया कराया गया है। जहां पर मलेरिया पोजिटिव पाए जाने के बाद परम्परागत वैक्सीन के साथ ही आरटीएस वैक्सीन देने की सलाह दी जा रही है। अब तक इस वैक्सीन का प्रचनल चुनिंदा विकसित देशों तक ही सीमित था। हालांकि डा. सिंह ने यह भी कहा कि वैक्सीन का प्रभाव काफी सीमित होता है क्योंकि यह एक निश्चित संख्या के पैरासाइट्स को ही मार पाने में सक्षम है। इसलिए बचाव, रोकथाम ही असरदार तरीका हो सकता है।
इस तरह फैलता है मलेरिया:
सरगंगाराम अस्पताल प्रबंधन कमेटी के उपाध्यक्ष और डिपार्टमेंट आफ मेडिसिन यूनिट के चेयरमैन डा. एसपी बायोत्रा के अनुसार फीमेल एनोफिलीज मॉस्किटो जब व्यक्ति को काटता है तो उसमें मौजूद पैरासाइट्स व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाती हैं। 8-9 दिन तक शरीर में ये पैरासाइट्स तेजी से बढ़ते रहते हैं। बाद में वो पूरे शरीर में फैल जाते हैं। तब मलेरिया के लक्षण समझ में आते हैं। डा. बायोत्रा के अनुसार व्यक्ति को काटने वाले मच्छर के पैरासाइट्स की संख्या पर मलेरिया की बीमारी निर्भर करती है। जिसकी माइक्रो जांच जरूरी है।
ऐसे पहचानें मलेरिया के लक्षण:
अगर एक दिन छोड़कर बुखार आता है उस समय आपको बहुत तेजी से सर्दी लगती है तो आपको मलेरिया हो सकता है। इसमें अचानक कंपकंपी के साथ बहुत तेज बुखार इसके बाद गर्मी लगती है फिर बुखार आता है। जैसे जैसे बुखारी कम होता है पसीना आता है और कमजोरी लगती है। मलेरिया का बुखार तीन-चार दिन तक रहता है।
मानसिक तनाव भी है कारण:
डिपार्टमेंट ऑफ साइकेस्ट्री के उपाध्यक्ष डा. राजीव मेहता के अनुसार मलेरिया के एंटीजन और पैरासाइट्स को प्रभावित करते हैं नतीजतन दिमागी गतिविधियों को नियंत्रित करने में मददगार सेरोटोनिन की गतिशीलता प्रभावित होती है। इस वजह से ही डोपोमिन, नोरोपिन, लूटेसिन आदि ऐसे रसायन है जिससे दिमागी स्वस्थ और खुश रहता है। मलेरिया पोजेटिव पाए जाने की सूरत में यह रसायन आपसी तालमेल बंद करने लगते हैं। भूल जाते हैं। नतीजतन व्यक्ति तनाव ग्रस्त हो जाता है। जिसे दूर करने के लिए जरूरी है सटीक नैदानिक जांच के बाद मरीज की काउंसिलिंग की जाए।
यह भी:
दुनिया भर में मच्छरों के काटने से हर साल लगभग 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है। मच्छरों की वजह से मलेरिया, डेंगू, येलो फीवर और चिकुनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं। यह जानलेवा बीमारी मच्छरों के काटने से होती है। फीमेल एनोफिलीज मॉस्किटो के काटने से मलेरिया होता है।
कहां कितने है उपचाराधीन रोगी:
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मलेरिया के चौबीस घंटे में 39 संभावितों को पता चला है। आए मामलों में से 10 मामले एम्स में, 9 सफदरजंग, 7 हिंदूराव, 5 लोकनायक, 4-4 मामले डीडीयू, जीटीबी हास्पिल में भर्ती कराए गए हैं। बीते चौबीस घंटे के दौरान विभिन्न मलेरिया केंद्रों में 67 लोगों के रक्त के नमूने लिए गए। जिनकी जांच रिपोर्ट अगले 48 घंटे में आएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here