कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में स्वाति शर्मा के कविता संग्रह सोलो ट्रिप पर जाती सखी का विमोचन

वरिष्ठ कवियों ने किया 'सोलो ट्रिप पर जाती सखी' का स्वागत

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कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के डिप्टी स्पीकर हॉल में युवा कवि स्वाति शर्मा के कविता संग्रह सोलो ट्रिप पर जाती सखी का विमोचन हुआ।

दिल्ली में बारिश के बाद सुहाने मौसम में हुए इस विमोचन ने यह संकेत दिया कि हिन्दी की कविता के मौसम में भी नयापन और ताज़गी आने वाली है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि, उपन्यासकार और अनुवादक अनामिका ने की। उन्होंने अपने वकतव्य में कहा कि स्वाति छह भाषाओं की जानकार हैं। उनकी कविताओं में स्त्री की वह दुनिया है, जो शायद हमारी कल्पना से आगे की है। अनामिका ने ‘सोलो ट्रिप पर जाती सखी’, ‘जा-ए-मन’ और ‘दो मन’ जैसी कविताओं के कुछ हिस्से पढ़े और कहा कि स्वाति के पास स्त्री और जीवन को लेकर नया विचार है।

वरिष्ठ साहित्यकार और समकालीन भारतीय साहित्य के सम्पादक बलराम ने स्वाति की कविताओं को साहस भरा बताया तो मदन कश्यप ने कहा कि स्वाति के पास नयी भाषा है और उनकी कविताएँ सत्य को प्रोजेक्ट करती हैं, आजकल के पूर्व सम्पादक वरिष्ठ कवि राकेश रेणु ने स्वाति की कविताओं की रेंज पर बात करते हुए कहा कि दिलचस्प रूप से उनके पास विषयों की व्यापक रेंज है, फिजिक्स, टाइम साइंस, इतिहास और राजनीति पर कविताएं लिखती हैं। ऐसे नये कवि का साहित्य में आना सुखद है। कहानीकार सुधांशु गुप्त ने स्वाति की कविताओं को दृश्य से दर्शन तक ले जाने वाली कविताएँ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी कविताओं को पढ़कर मोपासां और चेखव की याद आती है, क्योंकि ये दोनों कहानीकार भी बहुत छोट विषयों पर कहानियाँ लिखते थे, स्वाति की कविताएँ भी छोटे-छोटे विषयों से पैदा होती हैं। सुधांशु ने यह भी कहा कि उनकी कविताओं में गद्य और कविता का ख़ूबसूरत सामंजस्य देखने को मिलता है।

स्वाति शर्मा ने मंच से सबका धन्यवाद करते हुए कहा कि कवि को एक ही साथ सब कुछ और कुछ भी नहीं चाहिए होता है और ये कविताएँ जीवन के इसी विरोधाभास के बीच कि कविताएँ हैं।

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