ज्ञान प्रकाश/भारत चौहान नई दिल्ली , खुशी, उल्लास और रंगों के पर्व होली की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। राजधानीवासी बुधवार को होलिका दहन करेंगे और बृहस्पतिवार को रंगों वाली होली खेलेंगे। मंगलवार को देर सायं तक लोग अपने यहां चौराहों, पाकरे में होलिका दहन के लिए उपले, लकड़ी, खरपतावार एकत्रित कर रहे थे। बाजारों में देर सायं तक चहल पहल देखी गई। लोग पंसदीदा रंग गुलाल, पिचकारी खरीदारी करने में व्यस्त थे।
अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य कृष्ण दत्त शर्मा के अनुसार होलिका दहन 20 मार्च 2019 दिन बुधवार को उत्तरा फाल्गुनी के शुभ योग में करें। ज्योतिष शास्त्र मुर्हूत ज्ञान के अनुसार, प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन निशा मुख में होलिका दहन शुभ फलदायक होता है। होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार विशेष किया जाता है, भद्रा रहित समय में होलिका दहन करना शुभ रहता है। किसी भी अवस्था में होलिका दहन भद्रा के मुखकाल में नहीं किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले भी होलिका दहन नहीं किया जाना चाहिए।
इस वर्ष 2019 में भद्राकाल रात्रि 08:59 बजे तक रहेगा। यह भद्रा काल लगभग सभी प्रदेशों में इतने बजे तक ही रहेगा। अत: होलिका दहन का समय भद्रापरान्त रात्रि 08:59 बजे से अर्धरात्रि 11:30 बजे तक शुभ-अमृत की बेला में करना शुभ रहेगा। तदोपरान्त प्रात: काल 03:54 से 04:54 बजे तक बृहस्पतिवार तक सामान्य शुभ रहेगा।
होलिका पूजा और दहन का शुभ मुहूर्त :
होलिका पूजन मुहूर्त- सूर्योदय से प्रात: 09:40 बजे तक लाभ अमृत की बेला में होलिका दहन मुहूर्त- रात्रि 08:59 बजे से रात्रि 11:30 बजे तक श्रेष्ठ शुभ-अमृत की बेला में। सामान्य शुभ मुहूर्त- रात्रि 03:54 से 04:54 तक 21 मार्च 2019 तक।
होलिका पूजन सामग्री:
एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गन्ध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां आदि।
होलिका दहन की पूजा:
पांडवकालीन संकट मोचक श्रीहनुमान मंदिर, कनाट प्लेस के महंत पं. सुरेश शर्मा के अनुसार होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ कर होलिका पूजन करना चाहिए। बड़गुल्ले की बनी हुई चार मालाएं इनमें से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमानजी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर परिवार की होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत की तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें। गंध और पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें। पूजन के बाद जल से अध्र्य दें तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित करें। सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनाई गई होली में अग्नि प्रज्वलित करें। होली की अग्नि में सेंककर लाए गए धान्यों को खाएं, इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है।