मरीजों ने ली राहत की सांस कहा थैंक्स गॉड, अब होगा इलाज, होगा दर्द खत्म -72 घंटे की स्ट्राइक, डाई लाख से अधिक मरीज रहे इलाज से वंचित

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , रविवार को पहले ट्वीट के जरिए सोशल साइट्स में फिर अन्य माध्यमों से जैसे ही यह सूचना प्रसारित की गई कि एनएमसी बिल के विरोध में बीते तीन दिनों से रेजिडेंट्स डाक्टर्स की हड़ताल खत्म हो गई है। एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, कलावती शरन बाल चिकित्सालय, लेडी हार्डिग समेत अन्य अस्पतालों में सुदूर राज्यों से आए गंभीर रोगियों व उनके रिश्तेदार के चेहरे पर राहत भरी मुस्कान दिखी। एम्स के न्यूरो सर्जरी यूनिट में सिर में ट्यूमर की सर्जरी कराने की बाट जोह रहे राहुल (45) ने कहा कि थैंक्स गार्ड, डाक्टर्स कम बैक आन ड्यूटी.अब मेरी सर्जरी हो जाएगी, मैं ठीक हो जाउंगा। ऐसे ही अन्य मरीजों के चेहरे पर राहतभरी खुशी दिखी।
अजीज आ चुके थे मरीज:
दरअसल, डाक्टरों के आंदोलन से अब तक अनुमान है कि एक लाख से अधिक मरीज अदद इलाज से वंचित रहे जबकि 8 हजार से अधिक विभिन्न अस्पतालों में होने वाली लघु और बड़े आपरेशन टाल दिए गए। इनमें ऐसे रोगियों का दबाव ज्यादा था जिनका संबंधी विभाग के डाक्टरों ने सर्जरी करने की डेट दी थी। करीब डेढ लाख से अधिक मरीजों की नैदानिक और इमेजिंग जांच नहीं हो सकी। कई मरीजों का जीवन जोखिम में होने से उन्हे निजी अस्पतालों में ले जाना पड़ा।
केंद्र सरकार के इन पांच अस्पतालों समेत राजधानी के 41 अस्पताल के रेजिडेंट्स भी हड़ताल में थे। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हर दिन अनुमानत: इन अस्पतालों में 70 से 80 हजार नए मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से 10 फीसद लोगों को अभिलंब सर्जरी जबकि 12 फीसद को अस्पताल में भर्ती करने की सिफारिश डाक्टर करते हैं। इस लिहाज से नये मरीजों को तो परामर्श तक नहीं मिल सका। अधिकांश मरीजों की आर्थिक हालत इस कदर नहीं रहती है कि वे किसी निजी अस्पताल में मोटा शुल्क अदाकर इलाज करा सके।
हर अस्पताल में वेटिंग बढ़ी:
एम्स में नये मरीजों को अब ओपीडी में डाक्टर को दिखाने के लिए तीन माह बाद का आनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। जिन रोगियों को बीते तीन दिनों के दौरान इलाज नहीं मिल पाया है अस्पताल प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद उन्हें इस दौरान इलाज में वरीयता दी जाएगी। एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हम मरीजों की वेटिंग कम करने के लिए अतिरिक्त ओपीडी ज्यादा समय तक के लिए लगाने पर विचार कर रहे हैं। एम्स में प्रतिदिन करीब 13 हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसी ही सुविधा सफदरजंग अस्पताल और अन्य अस्पतालों में की जाएगी।
रेजिडेंट्स में गुस्सा बरकरार:
डाक्टरों का आरोप है कि एनएमसी बिल के खिलाफ एसोसिएशन ने कोई स्टैंड नहीं लिया जिसकी वजह से सरकार बिल को पास कराने में सफल हो गई। रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध के बीच बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार राज्यसभा में एनएमसी बिल 2019 को पास कराने में सफल हो गई। जबकि यह बिल 29 जुलाई को लोकसभा में पहले ही पास हो चुका था। कहा हम गांधीगिरी के जरिए अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

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