भारत चौहान नई दिल्ली , चौदह वर्षीय ज्योति की सर्जरी में अब आर्थित तंगी बाधा नहीं बनेगी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 22 हजार रु पये के अभाव में सर्जरी के लिए भटक रही 14 साल की ज्योति को बुधवार को प्राइवेट वार्ड में दाखिला लेने के लिए आर्थिक मदद मिल गई। दिल्ली सरकार के दीपचंद बंधू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर विकास रामपाल को बुधवार को समाचारपत्र में खबर प्रकाशित होने के बाद बच्ची के बारे में पता चला तो उन्होंने बच्ची को बुलाकर 22 हजार रु पये का चैक स्वेच्छा से प्रदान किया। बच्ची की मदद के लिए उसके पिता समाजसेवी अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के पास पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि बुधवार को बच्ची की मदद के लिए कई लोगों ने पैसे भेजने की पेशकश की लेकिन डा. विकास रामपाल से चेक लेने के बाद बच्ची के परिजनों ने सभी मदद के लिए आगे आने वालों को इसकी जानकारी दे दी। बता दें कि राष्ट्रीय सहारा के 6 फरवरी 2019 के अंक में एम्स: सरकारी मदद के बावजूद सर्जरी को भटक रही ज्योति नामक शीषर्क से खबर प्रकाशित की थी।
केंद्र सरकार ने बच्ची की सर्जरी के लिए पांच लाख 23 हजार रु पये एम्स को दिए भी थे लेकिन बावजूद इसके जनररल वार्ड में सर्जरी के लिए दो साल का समय लग रहा था। ऐसे में डॉक्टरों ने प्राइवेट वार्ड में भर्ती करने के कहा तो उसके पिता के पास प्राइवेट वार्ड की 22 हजार रु पये की फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं थे।
तकनीक था मामला:
बिहार के कटिहार के रहने वाले अर्जुन की बेटी साल 2015 से रीढ़ की हड्डी की एक विकृति से पीड़ित है। शुरू में पिता ने बिहार में उसका इलाज कराया लेकिन फायदा न मिलने के बाद उसे 2017 में दिल्ली स्थित एम्स लेकर गए। यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद सर्जरी करने के लिए कहा और बताया कि पांच लाख 43 हजार रु पये का खर्च आएगा। सफाई का काम करने वाले पिता की मासिक आमदनी सिर्फ 7 हजार है और पूर्वी दिल्ली के मंडावली में चार बच्चों के साथ उनका परिवार भी रहता है। ऐसे में उनके पास सर्जरी के लिए पैसे नहीं थे। केंद्र सरकार से मदद मांगने पर सरकार ने 5 लाख 43 हजार की आर्थिक मदद उपलब्ध किया। लेकिन इसमें प्राइवेट वार्ड का खर्च शामिल नहीं था। 13 फरवरी को एम्स के डॉक्टरों ने उसे 22 हजार रु पये जमा कराकर अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा था। बच्ची के पिता का कहना है कि अब वे अपनी बच्ची की सर्जरी करा सकेंगे।