एनजीटी का आदेश जिलाधिकारियों जैव-चिकित्सा अपशिष्ट नियमों के पालन पर नजर रखे

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ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सभी राज्यों के जिला अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की हर महीने में दो बार निगरानी करें। एनजीटी ने कहा कि एक जिला पर्यावरण योजना बनाना आवश्यक है जिसे जिला समिति लागू करे। इस समिति में पंचायतों, स्थानीय निकायों, क्षेत्रीय अधिकारियों, राज्य प्रदूषण नियंतण्रबोडरें (एसपीसीबी) के प्रतिनिधि और प्रशासन का प्रतिनिधित्व करने वाला एक उचित अधिकारी शामिल होना चाहिए। इस समिति की अध्यक्षता और इसकी निगरानी जिला अधिकारी करेंगे। एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा, ‘‘इन जिला पर्यावरण योजनाओं और जिला समिति के गठन की सूचना संबंधित जिलों की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाए। जिला अधिकारी की निगरानी संबंधी मासिक रिपोर्ट मुख्य सचिव के समक्ष पेश की जाए और इसे जिला वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाए। इसे वेबसाइट पर एक साल के लिए रखा जाए। इसे एक अगस्त, 2019 से लागू किया जाए। इस निर्देश के पालन पर राज्यों/केंद्रीय शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव नजर रखें।’’ एनजीटी ने सभी राज्यों एवं केंद्रीय शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे दो माह के भीतर स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादन की पूरी सूची जमा कराएं। एनजीटी ने इस बात पर नाराजगी जताई कि 25 प्रतिशत चिह्नित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को अभी संबंधित राज्य प्रदूषण नियंतण्रबोडरें द्वारा अधिकृत नहीं किया गया है। उसने कहा कि जिन राज्यों ने राज्य स्तरीय परामर्श समिति का गठन नहीं किया है, वह दो माह के भीतर इन्हें गठित करें।

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