सरकार सख्त: इलाज में लापरवाही, मरीजों की ओवर विलिंग कतई बर्दास्त नहीं – शिकायतों पर 9 सदस्यीय कमेटी लेगी त्वरित संज्ञान होगी कानूनी कार्रवाई

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली ,दिल्ली सरकार कारपोरेट एवं निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों को बेहतर इलाज देने के नाम पर दवाओं, सर्जिकल प्रोसिजर आदि पर ओवर विलिंग के रूप में मनमाना शुल्क वसूलने के मामले में सख्त हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ एक्ट के तहत नर्सिग होम्स के खिलाफ यह कार्रवाई करेगी।
स्क्रीनिंग के लिए 39 निजी अस्पतालों के यहां से मिली 123 शिकायतों में से 60 फीसद ओवरविलिंग और इलाज में कथित लापरवाही के पाए गए। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। जो अस्पतालों द्वारा ओवर विलिंग करने, इलाज में कथित लपारवाही बरतने आदि विवादों को सुलझाने और निगरानी रखेगी। आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए अब कमिटी फॉर्म की गई है।
ओवर विलिंग का है पुरानी आदत:
प्राइवेट अस्पतालों में ओवर बिलिंग और लापरवाही की शिकायतें आए दिन सुर्खियों में रहती है। 90 फीसद शिकायतों को पुलिस और प्रशासन दबा देते रहे हैं। इसी गड़बड़ पर अंकुश लगाने के लिए यह पहल की जा रही है। मिली शिकायतों पर यदि फौरी नजर डाली जाए तो दवाइयों की खरीद अस्पताल से ही होगी और प्रॉफिट मार्जिन ज्यादा रखा जाता है। 500 रुपये कीमत वाली दवाएं मरीजों को 3100 रुपये तक बेची जा रही है। दवा बेचने वालों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि वह सस्ती दवाओं को रैपर पर एमआरपी कई गुना ज्यादा बेखौफ दिखा रहे हैं। इलाज के दौरान रोगियों में लगने वाले कन्जुमएबल संसाधन भी बहुत ज्यादा रखा जाता है। मसलन सीरिंज, एंटीबायोटिक दवाएं, रुई, पट्टी, ग्लूकोज आदि। ऐसा करने के पीछे अस्पतालों की मंसा साफ है कि उनका मकसद है मरीजों को लूटना ज्यादा से ज्यादा बिलिंग करना। बीमारी का पैकेज दिया जाता है, इस में भी गड़बड़ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब यह कतई बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
डाक्टर करते हैं मनमानी:
केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) ने दवाओं और चिकित्सीय उपकरणों की केंद्रीयकृत खरीद परोख्त मामलों के लिए पहले से ही कमेटी का गठन किया है। सेंट्रल गवर्नमेंट ने एसेंशियल मेडिसिन की लिस्ट बनी है। लेकिन उन दवाओं को नहीं लिखा जाता। डॉक्टर 66 ऐसे दवाओं को नहीं लिखते। ओवर द काउंटर ड्रग्स (ओटीसी) एवं एच शैड्यूल्ड ड्रग्स की जगह डाक्टर ज्यादा कमीशन देने वाली फार्मास्यूटकल कंपनियों की दवाएं ही प्रेस्क्राइब्ड करते हैं। यह अब नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित रोगों संबंधी दवाओं के इतर दवाएं लेने के लिए ही डाक्टर मरीजों पर दबाव बनाते हैं।
9 सदस्यीय कमेटी रखेगी नजर:
स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में गड़बड़ियों और सुधार के लिए डीजी, हेल्थ सर्विसेज की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इसमें डीएमए व अन्य सरकारी संस्थानों व निकायों के लोग सदस्य होंगे। वे मामलों की जांच करेंगे, दोषी पाए जाने वालों की जबावदेही तय की जाएगी।

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