बेघर बच्चों को ढूंढेंगे, लगाएंगे इंजेक्शन, खसर, रूबेला बीमारी से मिलेगी मुक्ति! -टीकाकरण की फूलप्रूफ तैयारी, एक भी बच्चा छूट न जाए -नाइट शेल्टर के आसपास बने मोहल्ला क्लीनिक या मोबाइल वैन में होगी वैक्सिनेशन की व्यवस्था -पहले स्कूल, फिर अस्पताल और अंत में आएगा बेघर बच्चों का नंबर

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भारत चौहान नई दिल्ली, राजधानी में 16 जनवरी से मीजल्ज (खसरा) रूबेला वैक्सिनेशन (टीकाकरण) की इस बार फूलप्रूफ तैयारी कर ली गई है। इसमें जहां एक तरफ स्कू ल और अस्पतालों को कवर किया जाएगा, वहीं संभवत: पहली बार बेघर बच्चों को भी ढूंढ-ढूंढकर खसरे का इंजेक्शन लगाया जाएगा। पहले चरण में स्कूलों में बच्चों के लिए वैक्सिनेशन की सुविधा प्रदान की जाएगी। दूसरे चरण में सरकारी निजी अस्पतालों व मदरसों, गुरुद्वारा, प्रमुख बड़े मंदिरों, गिरिजाघरों में और आखिर यानी अन्तिम चरण में बेघर और नाइट शेल्टर्स में रहने वाले बच्चों की यह वैक्सिनेशन की जाएगी। पांच सप्ताह तक चलने वाले एमआर टीकाकरण का उद्देश्य राजधानी के 9 माह से लेकर 15 साल की आयु तक के 55 लाख बच्चों का शतप्रतिशत टीकाकरण के दायरें में लाया जाएगा।
बेघरों के बच्चों की पहचान के लिए होगी टैगिंग:
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परवार कल्याण मंत्रालय में टीकाकरण मामलों के उपायुक्त डा. प्रदीप हलधर के अनुसार ऐसी जगह जहां पर बेघर लोग रहते हैं या जहां पर नाइट शेल्टर हैं, वहां रहने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं की वैक्सिनेशन की जाएगी। जिन 206 नाइट शेल्टर्स के पास मोहल्ला क्लीनिक है, वहां कुछ दिनों के लिए वैक्सिनेशन की व्यवस्था की जाएगी और यदि आसपास मोहल्ला क्लीनिक नहीं है तो मोबाइल वैन के जरिए उन तक पहुंच बनाई जाएगी और प्रत्येक बच्चे की वैक्सिनेशन जरूर की जाएगी। इसके लिए हर डिस्ट्रिक्ट में डॉक्टरों की टीमें भी बना दी गई हैं जो बच्चों का डाटा तैयार करेंगे और वैक्सिनेशन करेंगी। दिल्ली के किसी भी बच्चे को वैक्सिनेशन के बिना रहने नहीं दिया जाएगा क्योंकि यह बीमारी आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है और दूसरों पर भी असर डाल सकती है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कू ल वैक्सिनेशन के लिए राजी नहीं उनकी काउंसिलिंग शुरू कर दी गई है। इनमें से 40 फीसद तकनीकी जानकारी हासिल करने के बाद राजी हो गए हैं अन्य को अगले सप्ताहभर में कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।
यह भी, सख्त रुख:
यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ गीताजंलि मस्टर और सोनिया सरकार ने कहा कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या मात्र तीन लाख है लेकिन हम किसी भी बच्चे को छोड़ नहीं सकते। इन्हें किसी भी हालत में वैक्सिनेशन करवानी पड़ेगी। प्राइवेट स्कूलों को मनाने के लिए लायंस और रोटरी जैसे क्लब का सहारा लिया जा रहा है क्योंकि इनके साथ काफी प्राइवेट स्कूल जुड़े हुए हैं। स्कूलों के बाद दिल्ली के अस्पतालों और मदरसों में वैक्सिनेशन की जाएगी। कुछ मदरसे भी इससे इंकार कर रहे हैं लेकिन उन्हें भी जल्द ही मना लिया जाएगा और बच्चों को खसरे के इंजेक्शन लगा दिए जाएंगे।

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