उत्तराखंड में विकास केन्द्रों की स्थापना तय समयसीमा में करने पर जोर

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भारत चौहान देहरादून, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्रंिसह रावत ने बृहस्पतिवार को अधिकारियों को निश्चित समयसीमा के अंदर राज्य में विकास केन्द्र स्थापित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके वित्त पोषण के लिये वि बैंक की सहमति के अलावा नाबार्ड से भी धन की समुचित व्यवस्था हो चुकी है। विकास केन्द्र योजना की समीक्षा बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री रावत ने राज्य में खाली पडे स्कूल भवनों तथा पटवारी चौकियों का प्रयोग ‘ग्रोथ सेंटर’ के तौर पर करने का भी सुझाव दिया। यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में विभिन्न विभागों ने बताया कि अगले तीन-चार महीनों में ज्यादातर वृद्धि केन्द्र काम करना शुरू कर देंगे। पौड़ी गढ़वाल के एकेर ब्लॉक में अमोठा एग्री बिजनेस ग्रोथ सेन्टर द्वारा हल्दी व मिर्च के कलस्टर विकसित करने का कार्य शुरू हो रहा है। इसके अलावा एकेर ब्लॉक में ही सीमार, धौलादेवी ब्लॉक में नाली (फल्याट), रायपुर में थानौ, बागेर में कपकोट, चकराता के पुनाह पोखरी में तथा जौनपुर में ख्यार्सी एग्रीबिजनेस ग्रोथ सेन्टर इस साल मार्च तक कार्य करना शुरू कर देंगे। मुख्यमंत्री ने पौडी में बीरोखाल और नैनीडांडा के पास लखौरी में वहां की प्रसिद्ध स्थानीय पीली मिर्च के कलस्टर विकसित करने की कार्ययोजना पर भी कार्य करने के निर्देश दिये । एमएसएमई विभाग ने जानकारी दी कि चमोली के दसोली ब्लॉक में माणा घिघरॉण, उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक के बीरपुर व डुण्डा में ऊन आधारित केन्द्र स्थापित किए गए है। फेब इण्डिया व बड़े ब्राण्डो से उनकी आवश्यकता के अनुरूप ऊन की उपलब्धता के सम्बन्ध में बातचीत की जा रही है। चमोली के पीपलकोटी में काष्ठ आधारित वृद्धि केन्द्र स्थापित किए गए है। बैठक में बताया गया कि धारचूला, बागेर व जोशीमठ में कीड़ा जड़ी का व्यवस्थित संकलन जल्द शुरू किया जाएगा तथा वन विकास निगम के सहयोग से कीड़ा-जड़ी की मार्केंिटग की जाएगी। मुख्यमंत्री ने थराली में कीड़ा-जड़ी के क्षेत्र में कार्य करने के भी निर्देश दिए। वन विभाग उरेडा के सहयोग से उत्तराखण्ड के 11 जिलों में पिरूल एकत्रीकरण व पिरूल उत्पादों पर त्वरित कार्य करने जा रहा है। रावत ने निर्देश दिए कि पिरूल एकत्रीकरण के क्षेत्र चिहिन्त कर दिए जाए ताकि भविष्य में लोगों को लाइसेंस पाने के लिए कोई परेशानी न हो । उन्होंने बताया कि शीघ्र ही पिरूल उत्पादों के अध्ययन के लिए अधिकारियों का एक दल इंडोनेशिया भेजा जाएगा जहां उससे 143 प्रकार के उत्पाद बनाए जाते है। वि में पाए जाने वाले पक्षियों की विभिन्न 1300 प्रजातियों में से 700 प्रजातियों के अकेले उत्तराखण्ड में पाये जाने के द्रष्टिगत वन विभाग द्वारा जल्द ही देवलसारी, कुलचैड़ आदि में र्बड वांिचग टूरिस्ट स्पॉट विकसित किए जा रहे है। इसके लिये स्थानीय लोगों को टूरिस्ट गाइड के रूप प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने ग्रोथ सेंटरों के विकास में महिलाओं तथा वन पंचायतों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। रावत ने बताया कि उत्तराखण्डी उत्पादों के लगभग 25 बिक्री केन्द्र नई दिल्ली में खोलने के लिए नई दिल्ली नगर पालिका (एनडीएमसी) के चैयरमेन से चर्चा की गई है।

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