अनियंत्रित आहार का सेवन युवाओं की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) एवं यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साईसेस (यूसीएमएस) से संबंद्ध गुरुतेग बहादुर अस्पताल आहार एवं पोषण विभाग द्वारा किए एक नए अध्ययन से संकेत मिला है कि जो लोग अवसाद से पीड़ित हैं, उनको जठरांत्र यानी पेट दर्द संबंधी संकट का सामना करने की संभावना अधिक रहती है। यह कहता है कि दोनों ही स्थितियां न्यूरन केमिस्ट्री-लो सेरोटोनिन में एक गड़बड़ से उत्पन्न होती हैं। अवसाद के एक तिहाई लोगों को पुरानी कब्ज होती है। कुछ अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि अस्वस्थ लोग, अपने साथ-साथ आंत की कठिनाइयों को जीवन की गुणवत्ता को कम करने वाले सबसे बड़े कारकों में से एक के रूप में आंकते हैं। कुल 6708 लोगों पर किए गए अध्ययन में 60 फीसद फोकस 18 से 35 साल के आयु के लोगों को शामिल किया गया जबकि अन्य 36 से 65 साल की आयु को। इसमें युवाओं में में मानसिक स्थिति में परिवर्तन पाया गया।
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वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे उदास देश है, जहां हर छठा भारतीय मानसिक बीमारी से पीड़ित है। अवसाद के लक्षणों को कम करने में स्वस्थ आहार के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना समय की जरूरत है।
अध्ययन के प्रमुख एवं यूसीएमएस में डिपार्टमेंट ऑफ फार्माकालॉजी के प्रमुख डा. अनिल अग्रवाल के अनुसार पेट को दूसरा मस्तिष्क कहा जा सकता है। आंत बैक्टीरिया की लगभग 300 से 600 प्रजातियों के साथ काम करती है, जो लाभकारी होते हैं। इनमें इम्युन सिस्टम को बढ़ावा देना, मेटाबोलिज्म और पाचन में सहायता और मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिशन व सिगलिंग में मदद करना शामिल है। इन बैक्टीरिया कालोनियों के प्रकार या संख्या में महत्वपूर्ण परिवर्तन से शरीर में सूजन हो सकती है, एक प्रक्रिया जो कई रोगों में योगदान कर सकती है, जैसे अवसाद। जबकि पूरे, उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ इन जीवाणुनाशकों के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, रिफाइंड चीनी युक्त खाद्य पदार्थ इन कालोनियों को बदल देते हैं। इस प्रकार, अवसाद के लिए एक आदर्श आहार योजना बनाने समय हैल्दी फैट (ओमेगा -3 एस) और खाद्य पदाथोर्ं का ध्यान रखना चाहिए, जो अस्वास्थ्यकर माइक्रोबायोम या गट फ्लोरा की सहायता करते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड का सूजन-रोधी गुण, न केवल शरीर के लिए बल्कि मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को भी अवसाद से जोड़ता है। इसी तरह, एक स्वस्थ आंत गट फ्लोरा को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है, और प्रतिरक्षा पण्राली को सीधे प्रभावित करके हमारे समग्र भाव को बढ़ा सकती है।
यह भी:
एससीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डा. केके अग्रवाल के अनुसार डिप्रेशन और चिंता का तंत्र कण द्वैत कार्यों के तरीके को समझने में असंतुलन पैदा कर सकता है। इसे संतुलित करने से अवसाद और ऐसे अन्य मानसिक विकारों के इलाज में मदद मिल सकती है। पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम शरीर को तनाव की प्रतिक्रियाओं से शांत करने में मदद करके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो रक्तचाप को बढ़ाता है,आंखों की पुतलियों को पतला करता है, और शरीर की अन्य प्रक्रियाओं के लिए ऊर्जा को मोड़ता है।
सुझाव :
-उन खाद्य पदार्थो को शामिल करें जो आपके सिस्टम को सपोर्ट करते हैं। इसलिए संपूर्ण आहार लें। इसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, गुणवत्ता वाले प्रोटीन, स्वस्थ वसा और जटिल काबरेहाइड्रेट शामिल हैं।
-शरीर को पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रखें। यह लसीका पण्राली विषाक्त पदाथोर्ं को बाहर निकालने और शरीर से चयापचय अपशिष्ट को बाहर निकालने में मदद करेगा। यह टिशू को डिटक्सीफाई, पोषण और पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक है।

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