भारत चौहान नई दिल्ली,: बीएलके हॉस्पिटल ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए टीएवीआर (ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट) सर्जरी करके पश्चिमी दिल्ली के 74 वर्षीय व्यक्ति के जीवन को सफलतापूर्वक बचाया है। मरीज लाल सिंह को एओर्टिक वाल्व में बहुत अधिक संकरापन था जिसके कारण उनका ह्रदय केवल 15 से 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था और वह शरीर में बहुत कम रक्त पंप कर रहा था।
अपनी टीम के साथ इस सर्जरी को अंजाम देने वाले बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के बीएलके हार्ट सेंटर के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी के चेयरमैन और विभाग प्रमुख डॉ अजय कौल ने कहा कि इस तरह के मामले में आम तौर पर सर्जरी के जरिए एओर्टिक वाल्व को बदलने की जरूरत पडती है लेकिन मरीज को अनियंत्रित डायबिटीज मेलेटस, उच्च रक्तचाप और हाइपोथायरायडिज्म के अलावा ट्रिपल वेसल डिजिज और गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस था जिसके कारण यह सर्जरी करना संभव नहीं था और इस कारण इसकी जगह पर टीएवीआर के विकल्प को आजमाया गया।
हालांकि, ऑपरेशन आसान नहीं था और इसमें कई तरह की चुनौतियां आईं। लाल सिंह का ह्रदय कमजोर था और वाल्व का इंतजाम करने के लिए दो से तीन दिन का समय चाहिए था जबकि उन दिनों मई में कोविड महामारी के कारण लॉकडाउन था। लाल सिंह की हालत बदतर हो रही थी और इसलिए डाक्टरों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए चरणबद्ध तरीके से इलाज करने का फैसला लिया। सबसे पहले डाक्टरों ने बैलून एओर्टिक वाल्वुलोप्लास्टी (BAV) नामक जटिल प्रक्रिया को अंजाम दिया ताकि लाल सिंह को थोडा और समय मिल जाए। इसमें संकरापन दूर करने के लिए बैलून डायलेटेशन किया जाता है। यह प्रक्रिया अस्थाई होती है लेकिन यह बहुत ही जटिल प्रक्रिया है लेकिन इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। मरीज को तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
जून में, मरीज बेहोश हो गया और उनके ह्रदय में फिर दिक्कत हुई। उन्हें तत्काल बीएलके हास्पीटल लाया गया और 11 जून को एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) सर्जरी की गई जो सफलतापूर्वक हुई और मरीज को किसी तरह की जटिलता नहीं हुई और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. अजय कौल ने कहा, “जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ, हमने वाल्व की व्यवस्था की और मरीज को बेहतर जीवन देने के लिए टीएवीआर प्रक्रिया की। हमने सामान्य एनेस्थीसिया और आटर्रिज के सर्जिकल एक्सपोजर के तहत मिनिमल एप्रोज के साथ टीएवीआर को अंजाम दिया। इसमें सेंट्रल लाइन्स में चीरा नहीं लगाया गया जिसके कारण मरीज को अधिक रक्त स्राव नहीं हुआ और रक्त चढाने जैसी जटिलता नहीं हुई। मिनिमलिस्टिक एप्रोच के कारण इस प्रक्रिया के परिणाम बहुत अच्छे रहे। इस प्रक्रिया में एक घंटे का समय लगा।ʺ
डॉ कौल ने कहा, “हमने महामारी के दौरान मरीज के साथ – साथ अपनी टीम की सुरक्षा के लिए पूरा इंतजाम किया। प्रक्रिया के तीन दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह स्वास्थ लाभ कर रहे हैं।
बीएलके हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच 74 वर्षीय हृदय रोगी की बचायी जान
74 वर्षीय रोगी को ट्रिपल वेसल डिजिज, सीवियर एओर्टिक स्टेनोसिस, अनियंत्रित डायबिटीज मेलेटस, उच्च रक्तचाप और हाइपोथायरायडिज्म जैसी कई गंभीर बीमारियां थी और ऐसे में मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी करना असंभव था