डायबटीज के बढ़ते प्रकोप पर “डायबकाँन 2019” में गहन चिंतन

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भारत चौहान नई दिल्ली ,बढ़ती डायबटीज आज एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है आज हालत इतने ख़राब हो चुके है की 20 से 40 उम्र के लोगो को भी डायबटीज हो रही है इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में दिल्ली डायबिटीज फोरम द्वारा “डायबकाँन 2019” दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे देशभर से आये डॉक्टर्स और विशेषज्ञों ने भाग लिया और इस बीमारी से लड़ने के लिए क्या किया जा सकता है इस पर गहन मंथन किया

इस मौके पर प्रो अनुपम प्रकाश ने अपने अभिभाषण में उल्लेख किया कि पिछले 3 दशकों में मधुमेह के रोग की तीव्रता से बढ़ा है यही कारण है कि इलाज प्रबन्धन में
भी जनसाधारण जीवन शैली के अनुरूप चुनौतियाँ भी पैदा हुई है । संगोष्ठी में प्रयास किया गया है एक
छत के नीचे विभिन्न राज्यों के 600 चिकित्सक मधुमेह रोग के कुशल प्रबन्धन व उपचार में कार्य कर
रहे हैं। चिकित्सकों अनुसंधानकर्ता एक जगह एकत्र होकर अपने अनुभवों को साँझा कर सके ताकि सभी
भाग लेने वाले चिकित्सक लाभान्वित होकर इलाज में नई चुनौतियाँ को नवीनतम व आधुनिक प्रणाली
द्वारा जनसाधारण को बेहतर ढंग से मधुमेह का इलाज कर स्वस्थ्य जीवन दे सकें ।

दो दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर विभिन्न राज्यों से आये चिकित्सकों शिक्षाविदों ने अपने
अनुभवों को प्रस्तुत किया । तमिलनाडू के डॉ0 अरुल्राज ने मधुमेह के निदान में भोजन व व्यायाम का
योगदान चर्चा करते हुए मधुमेह बीमारी पर नियंत्रण के लिए जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा ।
नियमित व्यायाम संतुलित आहार, भोजन में फल व मौसमी सब्जियाँ सम्मिलित करे, तम्बाकू व धूम्रपान
का प्रयोग न करे ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली ने कहा की भोजन में अखरोट व बादाम, मेवो को सम्मिलित
किए जाने की प्रथामिकता का उल्लेख किया तथा मनुष्य के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं के अनुरूप
मधुमेह द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ पर विचार विमर्श किया ।
प्रो0 डॉ0 पिकी सक्सेना (लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज ) ने गर्भावस्था में मधुमेह की जाँच के बारे में
विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि एक अनुमान के अनुसार 20% गर्भवती महिलाए डायबिटीज की
शिकार होती है जिसका कारण गर्भावस्था में शरीर में ग्लूकोज की मात्र बढना अधिक उम्र में गर्भधारण,
गर्भवस्था में वजन बढना, मोटापे का शिकार आदि, मधुमेह महिलाओं के बच्चों में दो तरह के जोखिम
होते हैं शारीर का असमान्य विकास और रासायनिक असंतुलन । नवजात शिशुओं का पीलियों अल्प रक्त
शर्करा, रक्त में कौल्शिय्म की कमी व मैग्नीशियम की होने का खतरा रहता है गर्भावस्था में उचित
भोजन व्यायाम,योग करके गर्भावस्था में होने वाली मधुमेह टाईप 2 के खतरे को दूर किया जा सकता
है । डॉ0 मंजुपुरी ने गर्भवस्था की अवस्था में इसुलिन व इलाज पर चर्चा की । डॉ0 भूपेश बर्मन(शिलांग)
ने उपवास के दौरान मधुमेह के दौरान मधुमेह के रोगी मधुमेह प्रबन्धन कैसे किया जाए चर्चा की । डॉ
उदय पाल (हैदराबाद) ने मधुमेह एवं उक्त रक्तचाप तथा सम्बन्धित बीमारियों पर चर्चा की । डॉ0 राजेश
उपाध्याय(दिल्ली) ने मधुमेह में गुर्दे पर होने वाले प्रभाव की चर्चा की और उल्लेख करते हुए जानकारी
दी कि असावधानी व्यवहार में लाने पर मधुमेह खतरा बढ़ा सकता है ।

डॉ0 वैभव शुक्ला (लखनऊ) ने मधुमेह में मधुमेह में संक्रमण को कैसे कम किया जाए तथा डॉ0 विनोद
ने मधुमेह का आंतों पर होने वाले प्रभाव व बचाव पर चर्चा की ।

उड़ीसा राज्य के कटक के मेडिकल कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य एवं डीन प्रो0 सिद्धार्थ दास ने मधुमेह
टाइप 2 दुबले-पतले लोगों में सम्भावनाओं की चर्चा की उन्होंने कहा कि 33 से 50% भारतीय में मधुमेह
ग्रस्त मरीजों में देखी जाती है तथा इस वर्ग में विशेष प्रकार से देखे जानेवाली तकलीफों व नियंत्रण पाने
के तरीकों पर विचार विमर्श किया ।
डॉ0 अनुपम प्रकाश अध्यक्ष दिल्ली मधुमेह मंच ने मधुमेह के इलाज प्रबन्धन में मौखिक प्रकार से
इन्सुलिन देने की तकनीक व बिना सुई के चमड़ी के पार इल्सुलिन को प्रैशर से पहुचने की विधि व स्मार्ट
इन्सुलिन चमडी के पैच की तरह प्रयोग होने वाली विधियों से अवगत कराया आशा व्यक्त की निकट
भविष्य में यह तकनीक उपलब्ध होने की सम्भावनाएं हैं ।

डायबकाँन के शैक्षणिक सदस्य डॉ0 अमितेश अग्रवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि डायबकाँन 2019 में
विभिन्न वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक विषयों को लक्ष्य रखा गया वर्तमान में उन विषयों को संगोष्ठी में
प्रतिनिधियों के लिए रोचक बनाने के उदेश्य से शैक्षणिक व्यावहारिक चर्चा, पैनल चर्चा एवं मधुमेह रोग
प्रश्नोतरी सम्मिलित की गई वृद्धावस्था एवं मधुमेह, गुर्दे-टाइप 2 मधुमेह रोगियों के इलाज में
जटिलताएं, मोटापा शारीरिक गतिविधियाँ पर व्यवहार एवं नैदानिक बातचीत, मधुमेह में टेली मेडिसिन,
मनोभ्रंश और मेटाबोलिक स्वास्थ्य, इन्सुलिन और मस्तिष्क, अवसाद मधुमेह में व्यावहार प्रबन्धन,
फास्टफूड इंडस्ट्री एवं मधुमेह प्रबन्धन, मधुमेह में ह्रदय सम्बन्धी परिणाम परीक्षण, क्या मेटाफर्मिन को
टाइप 2 डायबिटीज के लिए पहली लाईन थरेपी बनाना चहिए? जैसे रोचक विषयों पर चर्चा केन्द्रित की
गई ।

दिल्ली डायबिटीज फोरम के मंच से जानकारी देते हुए उल्लेख किया कि यह 27 वा अधिवेशन है और
दिल्ली डायबिटीज फोरम जनसाधारण में मधुमेह की रोकथाम के लिए गत 28 वर्षों से दिल्ली व
आसपास के राज्यों में सक्रिय रूप से कार्य कर रही है यही नहीं फोरम का उदेश्य व सहयोग लेकर
राजस्थान,उत्तर प्रदेश, हरियाणा व उतराखण्ड राज्यों में भी शिविर करने के लिए सहयोग लिया जा रहा है

इस संगोष्ठी को सफल बनाने में डॉ पियूष जैन, डॉ अशोक कुमार, डॉ सुबहालक्ष्मी, डॉ रोहित सक्सेना की
सक्रिय भूमिका रही ।

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