भारत चौहान दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अधिकारियों से स्कूली छात्राओं के बीच माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरुकता पैदा करने को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार और स्थानीय नगर निकायों को स्कूलों के लिए माहवारी स्वच्छता योजना की कार्यपण्राली, दिल्ली के लिए बजट के आवंटन और ऐसे उत्पादों के संवितरण के तरीके पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही पीठ ने स्कूलों में जागरुकता योजनाओं के प्रचार और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की स्थिति पर भी सरकारों और नगर निकायों से जवाब मांगा। अदालत ने ये निर्देश वकील सेतु निकेत की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। सेतु ने यहां के सभी स्कूलों में माहवारी और माहवारी स्वच्छता पर शिक्षित करने के लिए एक पण्रालीविकसि त करने के लिए अदालत से केंद्र, दिल्ली सरकार और नगर निकायों को निर्देश देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि योजनाओं में कई भेद हैं और हर कोई कुछ अलग करना चाहता है जिसके चलते इस मुद्दे के लिए धन को लेकर समस्याएं आईं। उन्होंने कहा कि केवल एक स्कीम होनी चाहिए जिसके लिए निधि केंद्र से दिल्ली सरकार के पास आए।दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष ने कहा कि स्वच्छता उत्पादों की खरीद और संवितरण के लिए निविदा जारी कर दी गई है।साथ ही उन्होंने कहा कि आप सरकार स्कूलों में किशोरियों के बीच माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरुकता फैला रही है और हर महीने‘ मुफ्त’ सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध करा रही है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई11 जुलाई को तय की है।