असम और अरूणाचल में 2जी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर न्यायालय ने बीएसएनएल से मांगा जवाब

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ज्ञान प्रकाश उच्चतम न्यायालय ने अरूणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों में ‘पुरानी हो चुकी’ 2जी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का समझौता रद्द करने की याचिका पर शुक्रवार को भारत संचार निगम लि से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ से गैर सरकारी संगठन टेलीकाम वाचडॉग के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि निगम ने जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा है। उन्होंने कहा कि न्यायालय को अरूणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों-कर्बी आंगलांग और दीमा हसाओ-में 2जी प्रौद्योगिकी के लिये टावर और दूसरे उपकरण लगाने के मामले में यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश देना चाहिए। याचिका में दूरसंचार विभाग और सरकार के स्वामित्व वाले भारत संचार निगम के बीच इस साल 16 जनवरी को हुआ करार रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इस करार के तहत ‘दुर्भावनापूर्ण मंशा’ से दो निजी कंपनीयों से 2,258 करोड़ रूपए की लागत से खरीदी जा रही पुरानी हो चुकी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जायेगा। भूषण ने पीठ से कहा, ‘‘यथास्थिति बनाये रखी जाये। टावर लगाने के लिये अभी तक काम का ठेका नहीं दिया गया है। इस पर रोक लगायी जानी चाहिए। निगम के वकील ने पीठ से कहा कि टावर लगाने के अलावा शेष सारा काम हो चुका है और रोक लगाने का आदेश उपभोक्ताओं को परेशान करेगा। पीठ ने जब यह पूछा कि अभी कितने उपभोक्ता हैं तो वकील ने कहा कि अरूणाचल प्रदेश में 836 उपभोक्ता हैं। गैर सरकारी संगठन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 13 अगस्त के फैसले को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

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