ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, समय पर यदि मिर्गी के मरीज डाक्टरों के पास पहुंच जाए और सही दिशा में उपचार किया जाए जो 50 फीसदी तक मरीज के ठीक होने की संभावना रहती है। स्पाइनल इंजुरी सेंटर में वि मिर्गी दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मेलन के दौरान डॉ. सतीश जैन व डा. मंजरी त्रिपाठी ने बताया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन किया था। इसमें पाया गया कि 70 फीसदी मिर्गी के मामले किशोरावस्था में पाए जा रहे हैं। इन्हें पहला दौरा छोटी उम्र में ही आ रहा है। वहीं 50-60 की उम्र के बाद एक बार फिर से दौरे पड़ते हैं। डॉ. जैन ने बताया कि पांच साल तक के बच्चे और बुर्जुगरे में चार से पांच गुना ज्यादा मिर्गी की समस्या होने की संभावना रहती है। इसमें ऐसे मरीजों को ज्यादा समस्या आती है जिसमें बीमारी की पहचान जल्द नहीं हो पाती। देखने में आया है कि मिर्गी में छोटे दौरे आते हैं जिसका पता नहीं चल पाता और यह आगे चल बड़ी समस्या बन जाती है। उन्होंने कहा कि यदि मरीज समय पर अस्पताल पहुंच जाए तो 70 फीसदी मामलों में मरीज ठीक हो सकता है। इनकी दवाई कम करने के बाद करीब 50 फीसदी मरीजों को फिर से न के बराबर दौरे आते हैं।
मिर्गी जागरुकता भ्रांतियों दूर करने पर पहली भारतीय फिल्म:
जीबी पंत अस्पताल के स्नायु तंत्रिका विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. देवाशीष चौधरी को मिर्गी रोग उपचार, निदान, भ्रांतियों पर आधारित पहली टेली फिल्म को अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। डा. चौधरी दुनिया की अति प्रतिष्ठित संगठन इंटरनेशनल लीग अंगेस्ट इपिलेप्सी (आईएलएकई) संस्था को दुनियाभर से 4 हजार से अधिक आवेदन मिले थे जिसमें उनके द्वारा बनाई गई फिल्म को पहले स्थान के लिए चुना गया।